जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
करीब दो साल आठ महीने के बाद आखिरकार अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों आरोपियों को अदालत ने दोषी करार देकर सजा सुना दी है। तीनों दोषियों पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।

इसके साथ ही तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं अदालत ने पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश भी दिया है। जहां कई लोग इस फैसले को अंकिता के लिए इंसाफ बता रहे है। तो वहीं अंकिता के माता-पिता इस फैसले से खुश नहीं है।
जाने क्या था पूरा घटनाक्रम
रिपोर्ट्स के मुताबिक वही फैसला आने के बाद माता-पिता नाखुश नजर आए। उन्होंने कहा कि तीनों हत्यारों को फांसी की सजा हो। इसके लिए वह आगे अदालती प्रक्रिया का रुख करेंगे। पीड़िता के परिजनों ने कहा कि उन्हें सजा से संतोष है। लेकिन वे दोषियों के लिए फांसी की उम्मीद कर रहे थे। जिस पर अंकिता भंडारी की मां ने कहा, मैं इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं, मैं नहीं चाहती हूं कि जो मेरी बेटी के साथ हुआ है, वह किसी और की बेटी के साथ हो. इसलिए मैं हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग करती हूं। मैं जब तक इन्हें फांसी के फंदे पर नहीं देखूंगी तब तक संतुष्ट नहीं हूं। उन्होंने अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है।
उत्तराखंड अंकिता मर्डर केस में कोर्ट के फैसले से खुश नहीं अंकिता के माता-पिता
कोर्ट के फैसले के बाद भी अंकिता के माता-पिता के ज़ख्म भरे नहीं हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “जिन्होंने हमारी बेटी को मौत दी उन्हें भी मौत की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने हमारा घर बरबाद कर दिया। हम चाहते थे कि हमारे जिंदा रहते इन हत्यारों को मौत की सजा मिले। हम इसके लिए हाईकोर्ट में अपील करेंगे।”
हाईकोर्ट का खटखटाएंगे दरवाजा
परिजनों ने साफ कर दिया है कि वे अब हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे और दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की लड़ाई जारी रखेंगे। अंकिता भंडारी केस ने पूरे देश को झकझोर दिया था। और अब जब फैसला आया है, तो एक बार फिर इंसाफ की परिभाषा पर बहस छिड़ गई है। क्या उम्रकैद ही काफी है जब एक मासूम की जान बेरहमी से ली गई हो?