जनता नामा न्यूज दिनेश भट्ट अल्मोड़ा उत्तराखंड
अल्मोड़ा 20 मई : सिर्फ घोषणा करने से नहीं, घोषणा धरातल पर उतरने से ही होगी शिक्षा-व्यवस्था दुरुस्त सरकार। दन्यां डिग्री कॉलेज को स्थापना के 4 साल बाद भी यूजीसी मान्यता नहीं मिली है। इससे विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति तक नहीं मिल पा रही है। पर्याप्त बजट होने के बाद भी भवन निर्माण अधूरा है। उच्च शिक्षा मंत्री जी आखिर कब तक पटरी पर आएगी कालेज की व्यवस्थाएं ?
सरकार ने 12 फरवरी 2021 को जिले के दन्यां कस्बे में डिग्री कॉलेज स्वीकृत किया। जीआईसी के जीर्ण आवासीय परिसर में नवंबर माह से ही प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू होकर कालेज शुरू हो गया। शोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के अधीन इस कॉलेज में कला और वाणिज्य संकाय में स्नातक कक्षाओं में वर्तमान मे करीब 700 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। स्थापना के चार साल बाद भी इस कॉलेज को यूजीसी की मान्यता नहीं मिल सकी है। इससे सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति का लाभ भी जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। कॉलेज के भवन के लिए सरकार ने 5 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है। कार्यदाई संस्था मंडी परिषद हल्द्वानी भवन निर्माण काम के प्रति उदासीन है। निविदा शर्त के मुताबिक मई 2023 में निर्माण कार्य पूरा हो जाना था। निर्धारित अवधि से करीब 2 वर्ष अधिक समय बीत गया है, लेकिन अब तक भवन निर्माण अधूरा पड़ा है। कॉलेज की मान्यता दिलाने, भवन निर्माण पूरा करने और स्नातकोत्तर कक्षाएं शुरू आदि मांगों को लेकर स्थानीय निवासी लंबे समय से मांग कर रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारियों और नेताओं ने समस्याओं के समाधान में रुचि नहीं ली है। प्रदेश सरकार और राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन लाकर उत्तराखंड को शिक्षा का हब बनाने का दावा भी करते रहते हैं। सरकार, कोरी घोषणाएं करने से शिक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं होगी घोषणा साकार होने पर ही परिणाम मिलेगा।
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पत्राचार करते रहे,पर समाधान नहीं मिला
कॉलेज को मान्यता दिलाने, भवन का निर्माण जल्द कराने सेमत अन्य समस्याओं को लेकर लोग कई बार पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली। सामाजिक कार्यकर्ता देश दीपक पंत, व्यापारी नेता हरीश दरम्वाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सरकारी प्रक्रिया और अधिकारियों के बर्ताव से खिन्न हैं। उन्होंने बताया समस्याओं के समाधान को मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, कुलाधिपति, कुलपति, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, कार्यदाई संस्था से लेकर हर स्तर पर पैरवी भी कर चुके हैं। कुछ से आश्वासन तो मिले, पर समाधान नहीं हुआ। उन्होंने कहा सरकार की घोषणाओं से समाज विशेष कर युवाओं का भविष्य और सरकार की साख जुड़ी होती है। फिर ऐसी घोषणाएं के क्या मायने जिससे युवाओं को परेशान होना पड़े और सरकार की साख पर भी बट्टा लगे।
