जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

मेरी मातृभाषा हिंदी,
सदा अविरल बहती रहे। उन्नति शिखर पर हमेशा, संगीत बन खनकती रहे।

मुखोच्चारित, लिखित भाषा ,
लिपि देवनागरी इसकी। ध्वनि, वर्ण ,लिपि ,पद ,वाच्य , इकाइयां बनी इसकी।
14 सितंबर 1949 को, राजभाषा का दर्जा मिला।
ग्यारह स्वर ,दो अयोगवाह, पैंतीस व्यंजन मिल वर्ण बना।
हृस्व, दीर्घ,प्लुत स्वर मिल, हिंदी हुई निर्मित।
स्पर्श ,अंतस्थ , ऊष्म व्यंजन, करें इसे परिष्कृत ।
अंक में इसे समेट,
अंकुश में ना इसे रखें।
स्वच्छ ,समृद्ध हिंदी हेतु, अगर मगर ना करें ।
इसके प्रयोग से सदा,
अंग अंग मुस्कुरा उठे। उज्जवल भविष्य इसका, आंखों में समा उठे ।
विस्तार इसका हो धरा पर ,यही लालसा मेरी ।
इक दिन यह गगन चूमे,
यही कामना मेरी।