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दशानन कृत ज्योतिष के आज के अंक में वृष लग्न में बुध के द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल

12/मई/२०२४ • MAY 12, 2024


विक्रम संवत २०८१, शक संवत १९४६

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।

तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि स्थितम् ॥

वृष लग्न का बुध आपके जीवन मे क्या प्रभाव डाल सकता है जानिए

वृष लग्न में बुध की बारह स्थितियों का अलग-अलग प्रभाव होता है

बुध प्रथम भाव में-वृष लग्न के पहले भाव  में मित्र शुक्र की राशि पर स्थित द्वितीयेश और पंचमेश बुध के प्रभाव से जातक प्रसिद्ध एवं धनी परिवार में निवास करता है। वह अच्छी काया वाला होता है। उच्च शिक्षा होने के साथ-साथ सन्तान भी अच्छी होती है।

बुध की सातवीं दृष्टि द्वारा सातवें भाव को देखने से नौकरी तथा व्यापार में अच्छी सफलता मिलती है, जिससे जीवन स्तर उच्च होने लगता है। ऐसे व्यक्ति को स्त्री द्वारा अच्छा सहयोग मिलता है।

पिता की सम्पत्ति नष्ट, सन्तान खर्चीली, सन्तान कोथी, झगड़ा पसन्द, एक कन्या को मृत्यु, विद्या न पड़ सका, सिर में चोट, सन्तान को नसाल बहुत पसन्द, विवाद को सुलझाना, कलाओं से अनभिज्ञ, पिछले जन्म में बहुत धन तथा पशुओं का अपहरण किया है, इस कारण अब धन नहीं ठहरता तथा अल्पजीवी है।

बुध द्वितीय भाव में-वृष लग्न में बुध के दूसरे भाव के फलादेश से जातक को धन की अच्छी आमदनी होती है। पारिवारिक स्तर ऊंचा बनता है, लेकिन कुछ ग्रह योग के कारण सन्तान के पक्ष में जटिल समस्याएं पैदा होती हैं। नौकरी-व्यापार की स्थिति सामान्य रहती है।

विद्या बुद्धि की अपार शक्ति, सन्तान का गौरव। सन्तान साथ रहे। सन्तान सेवा करे। कला-कौशल, वक्ता, वकील जैसी योग्यता का रोजी पर प्रभाव, प्रवीण, पिता का धन प्राप्त, पत्नी से न बने।

बुध की सातवी मित्र दृष्टि द्वारा आठवें भाव को देखने के कारण जातक को आयु का लाभ मिलता है। कुछ पुरातत्व सम्बंधी फायदा भी होता है। शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहता है। उच्च प्रकृति का होने से समाज में उसकी मान-प्रतिष्ठा सदैव बनी रहती है।


बुध तृतीय भाव में – वृष लग्न के तीसरे भाव  में स्थित बुध के फलादेश के अनुसार जातक का समाज में अच्छा प्रभाव बनता है। पराक्रम में वृद्धि के साथ-साथ भाई-बहनों का पूर्ण सुख सहयोग मिलता है। अपने ही कार्य कौशल से उसै अच्छा धन प्राप्त होता है।

सन्तान पैतृक सम्पत्ति पर कब्जा करके अपने अलग कार्य खोल ले। विद्या-धन संग्रह, धन कमाने दूर निकल जाए। कन्या सप्तति अधिक, ज्यों-ज्यों सन्तान उत्पन्न हो त्यों-त्यों धन की प्राप्ति।

बुध की सातवों मित्र दृष्टि के नौवें भाव के प्रभाव से जातक की जीवन शैली किस्म की बनती है। यह पूजा-पाठ एवं तीर्थयात्रा अधिक करता है। इससे उनका चरित्र उत्तम होता है। ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, विद्वान तथा धनी होने के साथ- धर्मात्मा भी बन जाता है।

बुध चतुर्थ भाव में-वृष लग्न के चौथे भाव में मित्र सूर्य की राशि पर स्थित बुध के कारण जातक को अपनी माता तथा भूमि का विशेष लाभ डा है। उसका जीवन बहुत सामान्य होता है। वह साहसी होने के साथ- साथ बुद्धिमान भी होता है। चारों ओर उसका यश फैलता है।

बुद्धि बल से युक्त, पुरुषार्थी, सन्तान शिक्षित, उत्साहित, भाग्यवान, व्यापार की यात्राएँ। ईश्वरभक्त, यश प्राप्त, दृढ़ विचार, शोलवान सन्तान, चाचा-ताऊ की मदद से भाग्यवान् बने।

बुध को सातवों मित्र दृष्टि द्वारा दसवें भाव को देखने से जातक को परिवार से अच्छा सुख-सहयोग मिलता है। पिता पसे भी पर्याप्त लाभ प्राप्त होता है। आभार में अच्छी सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति को जीवन जीने का अलग हो मजा आता है।

बुध पंचम भाव में- वृष लग्न में बुध के पांचवें भाव  के फलादेश के अनुसार जातक कड़ी मेहनत करने वाला होता है। वह अपने बाहुबल से अपार धन कमाता है। अच्छी शिक्षा-संगति होने के कारण वह संततिवान, विद्वान, बुद्धिमान तथा धनी होता है। उसे परिवार का भरपूर सुख मिलता है।

सन्तान मकान पर कब्जा करके रहे, उसी मकान में पैतृक सम्पत्ति दबी है, सन्तान सुखी, स्वयं सुखी, घर ही में कारखाना, सन्तान से बाबा बहुत प्रसन्न हैं, माता-पिता सुखी, निजी स्कूल सर्विस।

बुध की सातवीं नीच दृष्टि होने से जातक के आय स्रोतों में रुकावटें आती हैं, लेकिन समझदारी तथा अच्छे गुणों से वह उन्हें आसानी से दूर कर लेता है। सन्तान पक्ष से धन लाभ होता है। कुल मिलाकर वह सुखी एवं सम्मानित जीवन जीता है।

बुध षष्ठम भाव में –वृष लग्न के छठवें भाव में स्थित बुध के प्रभाव से  जातक को हमेशा अपने शत्रू पक्ष द्वारा भय बना रहता है, लेकिन अपने पुरुषार्थ से वह संकट से उबर जाता है। अपने क्रियाकलापों द्वारा वह हर क्षेत्र में कामयाब होता है। परिवार में कुछ सदस्यों से उसका कुछ  समय के लिए मनमुटाव होता है बाद में सब कुछ सामान्य हो जाता है।

खूब धन लगाकर सन्तान को पढ़ाया, सन्तान इंजिनियर, अध्यापक, वक्ता, वाणी प्रवीणता, एम.ए. लेखक, प्रकाशक, स्टेनो, टाइपिस्ट सन्तान पर व्यय सार्थक है।

बुध की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा बारहवें भाव को देखने के प्रभाव से जातक का खर्च योग अधिक होता है। बाहरी संसाधनों से उसे धन लाभ मिलता है। समाज में उसका मान-सम्मान होता है।

बुध सप्तम भाव में – वृष लग्न के सातवें भाव में स्थित बुध के प्रभाव में जातक को व्यवसाय के क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है। समाज में उसकी अच्छे साख बनती है। उसकी सुंदर एवं समझदार पत्नी का सुख सहयोग मिलता है। परिचार के सहयोग द्वारा धन लाभ की प्राप्ति होती है।

सम्पत्ति चोरों ने लूट ली, कुछ जुए में गई, शिक्षा का त्याग, सन्तान शत्रुसम व्यवहार करे, सन्तान ननसाल में रहना चाहे, पढ़ाई में बहुत खर्च परन्तु बेकार।

बुध को सातवी  मित्र दृष्टि द्वारा पहले भाव को देखने से जातक को समाज में मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। इस ग्रह स्थिति के अनुसार उसे अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं तथा सभी कार्य सफल होते हैं।

बुध अष्टम भाव में -वृष लग्न के आठवें भाव में स्थित बुध के फलादेश से जातक को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। आयु वृद्धि तथा कुछ प्राचीन वस्तुओं का लाभ मिलता है। वह धन को दूगुना करने में सफल होता है। परिवार के सदस्यों द्वारा परिस्थितियां कुछ विपरीत होती हैं।

बुद्धि बल से रोजी, स्त्री चतुर, सन्तान माँ की गोद से न उतरे, रोजी में पुत्रों की सहायता, पत्नी को धन की उत्तम सहायता, पत्नी अपने भाइयों की सेवा करती रहे, कुछ धन ससुराल में चला जाए।

बुध की सातवी दृष्टि के प्रभाव से जातक को कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है, तभी उसे अच्छा धन-वैभव प्राप्त होता है। उसका जीवन स्तर उच्च बनता है तथा समाज में सम्मान पाता है।

बुध नवम भाव में – वृष लग्न के नौवें भाव  में मित्र शनि की राशि पर स्थित बुध के प्रभाव से जातक कठिन परिश्रम द्वारा पर्याप्त धन एवं नाम कमाता है। उसे सन्तान का भी अच्छा सुख-सहयोग मिलता है। धर्म-कर्म में उसकी रुचि सदैव बनी रहती है।

सन्तान हानि, विद्या में कमी रह गई। विदेश में पढ़ने जाए। पैतृक धन बर्बाद। बुद्धिबल से अमीर।

बुध की सातवी दृष्टि द्वारा तृतीय भाव को देखने से जातक को भाई-बहनों का सुख मिलता है। वह उनके सहयोग से अपना घर-बार बनवाकर सुखो जीवन व्यतीत करता है।

बुध दशम भाव में – वृष लग्न के दसवें भाव  में स्थित बुध के फलादेश से जातक को पिता एवं राज्य पक्ष द्वारा अच्छा लाभ प्राप्त होता है। वह विशेष क्रिया- कलापों तथा कार्यक्रमों द्वारा अपना उच्च स्तर बनाता है। इन्हीं प्रयासों में वह अच्छा पारिवारिक जीवन जीता है।

धन और विद्या भाग्य में खूब लिखे हैं, यात्रा में आलसी, व्यापारिक यात्राएँ। बुद्धिबल की विशेषता। लेखक, कला कुशल, पारखी, सन्तान भी भाग्यवान। धार्मिक, बहन-भाइयों से पृथकता।

बुध की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा चतुर्थ भाव को देखने से जातक को माता से अधिक प्यार-दुलार मिलता है। भूमि का पूर्ण उपभोग करता है। परिवार के सदस्यों से अच्छा सहयोग प्राप्त होता है। जीवन सुचारु रूप से चलता है।

बुध एकादश भाव में- वृष लग्न के ग्यारहवें भाव  में मित्र बृहस्पति की राशि पर स्थित बुध के फलादेश से जातक को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक समस्याओं से जूझना के बावजूद उसे परिवार के सदस्यों का सहयोग नहीं मिलता। इन सब कारणों से वह मानसिक तथा आर्थिक रूप से परेशान रहने लगता है।

पिता अपने धन को कब्जे में किए है। सन्तान बाबा से लिपटी रहती है, एक पुत्र बाबा की गद्दी सम्भालेगा, सन्तान को सर्विस मिल जाएगी, कर्मेष्ठी, भूमि लाभ, सरकारी मदद।

बुध की सातवीं दृष्टि द्वारा अपनी ही राशि वाले पांचवें भाव को देखने के कारण जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है। विचार शक्ति का प्रभाव होने से उसका मान-सम्मान बढ़ता है। सन्तान पक्ष मजबूत रहता है। कुल मिलाकर वह सुखपूर्वक सामान्य जीवन जीता है।

बुध द्वादश भाव में- वृष लग्न के बारहवें भाव  में स्थित बुध के फलादेश से जातक को बाह्य साधनों तथा व्यक्तियों से कुछ लाभ मिलता है। लेकिन साथ हो साथ उसका खर्च भी बढ़ता है। विद्या, सन्तान तथा आय के क्षेत्रों में असामान्य स्थिति होती है। सन्तान पक्ष में कुछ हानि का योग भी बन जाता है।

रोजगार में पिता की सम्पत्ति लगी है। पुत्र कहता है कि कोई नया कार्य कीजिए, रोजगार में पुत्रों की सहायता, प्रोफेसर, अगले जन्म में मिस्त्री बनेगा तथा जलयान का निर्माण कराने में संलग्न रहेगा।

बुध की सातवीं मित्र दृष्टि के प्रभाव से ऐसे जातक को अस्थायी फलादेश के अंतर्गत अपने कार्य-कौशल द्वारा सामान्य लाभ मिलता है तथा शत्रुओं पर विजय हासिल होती है। ऐसा व्यक्ति धैर्यवान, परिश्रमी एवं धार्मिक प्रवृत्ति का हो जाता है।

पूर्व में प्रसारित सप्ताहिक अंकों में आपने पढ़ा मेष लग्न में नवों ग्रहों के प्रत्येक लग्न के द्वादश भावों में मिलने वाले फल के बारे में 

दशासन कृत ज्योतिष  में आजकल प्रसारित अंकों में  वृष लग्न में  नवों ग्रहों के द्वादश भावों पर पढ़ने वाले प्रभावों की जानकारी 

साप्ताहिक समाचार दशानन कृत ज्योतिष में वृष लग्न के जातक पहले से द्वादश भाव मे वृहस्पति का फल जानने को पढ़े अगले रविवार का दशानन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक अंक

ज्योतिषाचार्य कौशल जोशी शास्त्री
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