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दशानन कृत ज्योतिष का दूसरा भाग मेष लग्न में सूर्य के द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल

१८/फरवरी/२०२४ • February 18, 2024



विक्रम संवत २०८०, शक संवत १९४५ (शोभकृत संवत्सर), माघ |

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।

तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि स्थितम् ॥

मेष लग्न का सूर्य आपके जीवन मे क्या प्रभाव डाल सकता है जानिए

ज्योतिषचार्य कौशल जोशी (शास्त्री) प्राचीन “कुमायूँ की काशी” माला सोमेश्वर से

मेष लग्न में सूर्य के द्वादश भावों का शुभाशुभ प्रभाव

जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

मेष लग्न और द्वादश भाव कुन्डली

मेष लग्न में सूर्य का फल

सूर्य प्रथम भाव में-वीर, तेजस्वी सभी आदर करें, विद्या भाग्य में लिखी है, सन्तान को कंधे पर चढ़ाए रखता है। भाग्यवान् उच्च चरित्र। आँखें तेज। पत्नी स्वच्छता प्रिय, सजी सँवरी तथा प्रवीण। सन्तान बुढ़ापे में प्रभावशाली बन जाए। मान बढ़े। बन्दूक का लाइसेंस। राजयोग, शरीर में ईश्वरीय शक्ति का वास। जब से पुत्र उत्पन्न हुआ है भाग्योदय पाँच बार।

सूर्य द्वितीय भाव में – सन्तान सम्पत्ति पर शीघ्र अधिकार कर ले। सन्तान बाबा की गद्दी सँभालना चाहे, विद्या कम। दाहिना नेत्र कमजोर सिद्धान्त , नेत्रों में फोड़े।

सूर्य तृतीय भाव में सन्तान अपने चाचा-ताऊ की गोद में झूलती रहे। बन्धु-बान्धव अधिक पढ़ जाएँ। भाग्यवान। सन्तान यात्रा में साथ रहे। ज्यों-ज्यों सन्तान उत्पन्न हो भाग्यशाली बनती रहे। स्वयं बड़ा भाई।

सूर्य चतुर्थ भाव में-माता विद्वान्। शिक्षा घर में भी ग्रहण करे। सन्तान मकान व जमीन पर शीघ्र कब्जा कर ले। मकान बदल जाए। नौकरो भी बदलनी पड़े। जब सन्तान उत्पन्न हो तब मकान भी बने।

सूर्य पंचम भाव में – विद्या वारिधि, एम.ए.। न्याय तथा कानून का विद्यार्थी। सन्तान सिंह के समान वीर तथा पढ़ी-लिखी। रोजगार करने में मन न लगे। नौकरी के लिए प्रयत्न। उच्चपद की अभिलाषा। भूगोल में रुचि। अध्यापक न बने। पुत्र प्राप्त होते ही भाग्योदय। आत्म बलिदान।

सूर्य षष्ठम भाव में रोग और शत्रु अधिक सिर न उठावें। सन्तान किसी शत्रु की तरफदारी करे। विद्या छूट जाए, बुढ़ापे में सन्तान रात्रुवत् व्यवहार करे, मामा को कष्ट।

सूर्य सप्तम भाव में – पत्नी प्रभावशाली, शिक्षित, स्वच्छता पसन्द, सजी सँवरी, केवल पुत्र ही उत्पन्न हों, पुत्र नीच स्वभाव के, सन्तान भी स्वच्छ रहे। शिक्षा में प्रवीण, पुत्रों की रोजी लग जाए। एक पुत्र जनरल।

सूर्य अष्टम भाव में – शिक्षा की कमी, शिक्षा धोखा दे जाए। परेड, ड्रिल, खेलकूद में मस्त, निशाने का शौक। वैसे उम्र भर पढ़ता रहे, विदेश में भी पढ़े।

सूर्य नवम भाव में – बचपन से ही शिक्षा में ध्यान, क्लास में फर्स्ट

आवे, यात्रा में सन्तान उत्पन्न। केवल एक ईश्वर को माने। वर्ण का पक्का, बन्धु बान्धवों को भी भाग्यवान् बना दे, सन्तान भाग्यवान, यात्रारत। विश्व का भ्रमण, आत्मविश्वासी।

सूर्य दशम भाव में – शिक्षा में सरकारी सहायता न मिले। पुत्र शत्रु बन जाएँ, नौकरी में शिक्षा का समुचित आदर न हो, शिक्षा में पिता की भी मदद कम मिले परन्तु मकान, जमीन के उत्तम योग हैं, सवारी का प्रबन्ध हो

सूर्य एकादश भाव में शिक्षा व्यापार के काम न आये। पुत्र पिता की गद्दी को संभाल कर त्याग दें। पुत्रों से कारोबार में न बने, कारोबार में बुद्धि न लगे, कारोबार में सरकार से हानि, इसलिए कारोबार बदलने पड़ें। दुकान में आग लग जाए। अगले जन्म में कुम्हार के पर जन्म लेगा तथा ब्यापार में फिर भी घाटा पाएगा।

सूर्य द्वादश भाव में शिक्षा में अधिक खर्च। फिजूल खर्चा समाप्त। शत्रुओं पर प्रभाव। सन्तान अधिक खर्च करे, विद्या में रुकावट। समुद्री जहाज की शिक्षा। बाएँ नेत्र की दृष्टि कमजोर, नेत्र में फोड़े उठें। उच्चाभिलाषी, वृद्धावस्था में प्रभावशाली। पिछले जन्म में किसी शिशु को जला दिया था, इस कारण सन्तान कष्ट है तथा विद्या में वृद्धि नहीं है।

मेष लग्न के जातक मेष लग्न में चन्द्रमा के होने से पढ़ने वाले प्रभावों की जानकारी के लिए पढ़ें अगले रविवार का
दशासन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक समाचार

ज्योतिषाचार्य कौशल जोशी शास्त्री
+91 6396 961 220