Mon. Oct 13th, 2025

Category: सोमेश्वर

दशानन कृत ज्योतिष के अनुसार आज मेष लग्न में बृहस्पति का फल

१७/मार्च/२०२४ • MARCH 17, 2024 विक्रम संवत २०८०, शक संवत १९४५ यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

   रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

दशानन कृत ज्योतिष के अनुसार साप्ताहिक ज्योतिष के इस रविवार को आने वाले भाग में जाने  मेष लग्न व राशि पर वृहस्पति का प्रभाव

ओम् आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामआ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथोजायताम् दोग्ध्री धेनुर्वोढ़ाऽनडुवानाशुः सप्तिःपुरन्धिर्योषा जिष्णु रथेष्ठाः सभेयो युवास्ययजमानस्य वीरो जायताम् निकामे…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…

साप्ताहिक ज्योतिष में आज दशानन कृत ज्योतिष के अनुसार मेष लग्न व राशि पर बुध का प्रभाव

दशानन कृत ज्योतिष का दूसरा भाग मेष लग्न में बुध के द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल १०/मार्च/२०२४ • MARCH…

रावण संहिता के अनुसार कैसा होगा आप का आज का दिन

दशवर्ष सहस्त्रं तु निराहारो दशाननः ।पूर्ण वर्षसहस्त्रे तु शिरश्चाग्नौ जुहाव सः ।।एवं वर्ष सहस्त्राणी नव तस्याति चक्रभुः ।शिरांसि नवचाप्यस्य प्रविष्टानि…