जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

“डेंगू 🦟की आहट” /ज़न हित में जारी
यों तो पहाड़ों पर न मलेरिया था न डेंगू! लेकिन समय बदला, ग्लोबल वार्मिग, जनसंख्या का बढ़ना – इन बीमारियों क़े मच्छरों का आकर प्रकोप फैलाना ही है! डेंगू एक मच्छर क़े काटने से होता है, जिसमें बुखार क़े साथ शरीर में लाल चकत्ते हो जाते हैं! ऐेसे रोगियों में रक्त कार्णकाओ में प्लेटलेटस की अत्यधिक कमी हो जाती है! इनकी पूर्ती क़े लिए प्लेटलेट (खून का भाग) चढ़ाने पढ़ते हैं! प्लेटलेट्स कम न हो इसके लिए आयुर्वेदिक (घरेलु) उपाय भी कार्य करते हैं – किवी फल का प्रयोग, पपीते क़े पत्तों को चबाना, अमृत बेल (ग्लोई) (घृत कुमारी) का प्रयोग खाने में किया जाता है! हमें पूरे बदन को ढककर रखना चाहिए जिससे मच्छर काट न सके, मच्छर मार दवाइयों और मच्छर दानी का प्रयोग करना चाहिए, समय-समय पर जहां कहीं भी पानी का भराव हो पानी बदल देना चाहिए तथा नालियों में व दरवाजों के पीछे फॉगीग करना चाहिए! घर में कहीं भी पानी किसी भी बर्तन में रोके नहीं! मच्छर क़े बच्चे इन्हीं पानी में जन्म लेते हैं! फूलदान का पानी बदलते रहे?!


गोष्टी – – – – – – में भुवन, भावना, सुंदर, नितेज, मनोज सनवाल, रीता दुर्गापाल पुष्पा सती आशा पंत, हेम चंद्र जोशी ,रूपा, दिवाकर, देवेन्द्र, भाष्कर, मीता उपाध्याय आदि लोग गोष्टी में उपस्थित रहे व जानकारी प्राप्त की!