जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
दो दिन पूर्व हुई एक से दो घंटे की बारिश ने 500 साल पुरानी नगरी अल्मोड़ा में पानी के निकासी के सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है।
इस बारिश के बाद इंदिरा कॉलोनी,रानीधारा,राजपुरा में मालवा,में पानी लोगो के घर मे घुस गया।ईश्वर का आशीर्वाद रहा कि कोई बड़ी जनहानि नही हुई।


मैं भूवैज्ञानिक तो नही हूं किंतु लांबे समय से अल्मोड़ा में निर्माणधीन शिविर लाइन,ड्रेनेज के कार्य पर नज़र बनाए हुए हूं और साथ ही इस विषय के जानकारों व उपलब्ध किताबो आदि से जुटाई जानकारी से नजरी तौर पर समझ मे आता है कि दशकों पूर्व में बने नगरपालिका के नालों की क्षमता आज की कई गुना बढ़ चुकी आबादी के घरेलू पानी व बरसात के पानी को वहन नही कर पा रही है,जिससे पानी ओवर फ्लो होकर लोगो के घरों में घुस रहा है।
इसके अलावा लोगो ने बताया कि सीवर लाइन के कार्य से रास्तो से लगी दीवारे कमजोर हो गयी है जिससे पानी रिस कर लोगो के घर मे आ रहा है।
इसके अतिरिक्त सिचाई विभाग की घोर लापरवाही के साथ ही हावी नौकरशाही ने 18 करोड़ से प्रथम चरण में बनने वाले नगरपालिका के 18 नालों जिस का उद्देश्य था कि इन बड़े नालों में इस तरह से कार्य हो कि इन नालों से पानी रिस कर लोगो के घरों में न जाए,किंतु तय समय पूरा हो जाने के बावजूद इन 18 नालों में अनेकों नालों में सिचाई विभाग ने हाथ तक नही लगाया है।
जिसका नतीजे के रूप में 2 दिन पूर्व हुई बारिश में इस नाले से पानी ओवरफ्लो होकर लोगो के घर मे घुस गया।
♨️♨️♨️ *समाधान* ♨️♨️♨️
साथियों मैं इस विषय का एक्सपर्ट तो नही हूं किंतु जो मैंने क्षेत्र में रहकर थोड़ा बहुत ज्ञान लिया वो आपके साथ साझा कर रहा हूं-
1-हमने धरातल में देखा कि पानी की निकासी के पारंपरिक रास्ते चोक हो गए है,पानी को जहाँ गुरुत्व मिल रहा है वो अपना रास्ता उस ओर बना दे रहा है,स्वभाविक रूप से अल्मोड़ा नगर में गुरुत्व रास्ते के नीचे रह रहे मकानों की तरफ है,निकासी नालों को दुरस्त कर पानी की निकासी के पारंपरिक रास्तो को खोला जाए।बरसात व उससे पूर्व निरन्तर निकासी नालों की सफाई हो।
2-सीवर लाइन व ड्रेनेज सिस्टम आज तेजी से बढ़ रहे अल्मोड़ा नगर के लिए अत्यंत आवश्यक है।
हमारे द्वारा किये गए लंबे संघर्ष के बाद अल्मोड़ा नगर के लिए 3-4चरणों मे ड्रेनेज सिस्टम बनने की सरकार के द्वारा प्लान किया गया जिसमें ड्रेनेज सिस्टम व सीवर लाइन बनाने का मुख्य कारण अल्मोड़ा नगर में पानी की पूर्ण रूप से निकासी की व्यवस्था करना था।पूर्व में जिलाधिकारी रही वंदना सिंह जी व कार्यदायी संस्था से अनेकों बार हमारे द्वारा वार्ता की गई और पहाड़ी नगर अल्मोड़ा की इस अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना को जानने वा समझाने की कोशिश की गई।
दुर्भाग्य है कि शासन ने बड़ी गलती करते हुए ड्रेनेज सिस्टम व शिविर लाइन के इस कार्य को कम केंद्रीकृत करते हुए,बाहर के किसी ठेकेदार को कार्य दे दिया ,जिसके पास पहाड़ में कार्य करने की योग्यता नही है,न ही विभागीय अधिकारियों में कार्य को करने की उच्च कोटि की विषेशज्ञता है,जिसका अन्तोगत्वा गंभीर परिणाम नगरवासियों को उठाना पड़ रहा है।
ड्रेनेज सिस्टम व शिविर लाइन निर्माण का कार्य लोकल के ठेकेदारों को मिलना चाहिए, लोकल ठेकेदार अनेको कारणों से इस कार्य को आसानी से कर सकते है।
अंत में पुनः अल्मोड़ा वासियों से निवेदन करता हूं कि किसी भी विकास कार्य की सफलता भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तभी सम्भव है,जब आमजन संगठित हो,हमे इस भावना से ऊपर उठना होगा कि मेरा घर तो सुरक्षित है,मुझे फर्क नही पड़ता,अपने शहर के विकास के लिए सामूहिक रूप से शासन-प्रशासन पर दबाव बनाना पड़ेगा।
आखिर में अत्यंत महत्वपूर्ण चुने हुए प्रतिनिधियों का विकास के प्रति घोर उदासीन रवैया, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी,विकास को लेकर कोई विज़न न होना ने नगर को गर्त में पहुचा दिया है।