जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
भारत में इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से भी ज्यादा यूजर्स हैं.

जानें क्या है WhatsApp और IT नियमों का पूरा मामला?
2021 Information Technology (IT) के एक नियम में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और मैसेजिंग ऐप्स को यूजर्स की चैट्स ट्रेस करने और किसी मैसेज के पहले सेंडर की पहचान करने का प्रावधान बनाने की बात कही गई है.

पूरा मामला की है जाने सरल भाषा मे
IT नियम 2021 के अनुसार व्हाट्सएप को इसके यूजर्स के चैट्स को ट्रेस करने के साथ ही किसी मैसेज को पहली बार भेजने वाले पहले यूजर की पहचान करने की बात कही गई। अब इसे व्हाट्सएप मानने से इनकार कर रहा है। व्हाट्सएप और इसकी मूल कंपनी, META, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को चुनौती दे रहे हैं, जो चैट का पता लगाने और ऑरिजिनल मैसेंजर की पहचान को अनिवार्य बनाता है। IT नियम 2021 के खिलाफ बहस करने वाली कंपनी व्हाट्सएप का तर्क है कि ये नियम एन्क्रिप्शन को कमजोर करते हैं। ऐसे में भारतीय संविधान की ओर से दी गई यूजर्स की प्राइवेसी की गारंटी का उल्लंघन होता है।
आसान भाषा में कहें, तो किसी मैसेज को पहली बार किसने भेजा है इसका पता लगाने के लिए यूजर्स के मैसेज को ट्रेस करने को कहा गया है. अगर वॉट्सऐप ऐसा करता है, तो उसे सभी यूजर्स के तमाम मैसेज को ट्रेस करना होगा और उनका एक रिकॉर्ड सालों तक अपने पास रखना होगा.
इससे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टूट जाएगा. केंद्र सरकार ने 2021 Information Technology (IT) का ऐलान 25 फरवरी 2021 को किया था. Facebook, Instagram, WhatsApp, Twitter (अब X) जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को नए नियमों का पालन करना होगा.
वर्तमान में जीवन का हिस्सा बना व्हाट्सप
WhatsApp के बिना जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है और वो है कि हमें छोड़कर जाने की धमकी दे रहा है. उसने बाकायदा अदालत में ये कहा है. सबसे चर्चित मेसेजिंग प्लेटफॉर्म ने चेतावनी दी है कि अगर उसके एन्क्रिप्शन में सेंधमारी की कोशिश की गई तो भारत में अपनी सेवाएं बंद कर बोरिया-बिस्तर उठा लेगा (WhatsApp IT Rules Breaking encryption). वॉट्सऐप ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा है कि अगर उसे अपना मेसेज एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वो भारत में अपनी सर्विसेज़ बंद करके चला जाएगा.
यूज़र्स की प्राइवेसी खतरे में आ सकती है, व्हाट्सअप ने रखा अपना पक्ष
WhatsApp ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस नियम को असंवैधानिक घोषित किया जाए और इसका पालन न करने पर उस पर कोई आपराधिक दायित्व न आए। याचिका में कहा गया है कि ट्रैसेबिलिटी की आवश्यकता कंपनी को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर करेगी और उन लाखों उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और मुक्त भाषण के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगी जो संचार के लिए WhatsApp के प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
इस पर जोर देते हुए और यह कहते हुए कि नियम बिना किसी परामर्श के लाया गया था, व्हाट्सएप की ओर से पेश वकील तेजस करिया ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि लोग मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं क्योंकि यह अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ गोपनीयता की गारंटी देता है। बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ को बताया, “एक मंच के रूप में, हम कह रहे हैं, अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो WhatsApp भारत से चला जाएगा।”
एक अन्य प्रमुख तर्क यह था कि नियम के तहत व्हाट्सएप को लाखों संदेशों को वर्षों तक संग्रहीत करना होगा। उन्होंने कहा, “हमें एक पूरी श्रृंखला रखनी होगी और हमें नहीं पता कि किन संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए कहा जाएगा। इसका मतलब है कि लाखों-करोड़ों संदेशों को कई वर्षों तक संग्रहीत करना होगा।”
दोनों पक्षो को संतुलन की आवश्यकता’
पीठ ने कहा कि निजता के अधिकार पूर्ण नहीं हैं और ”कहीं न कहीं संतुलन बनाना होगा।” ऐसा तब हुआ जब केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामलों में ऐसे प्लेटफार्मों पर संदेशों के प्रवर्तक का पता लगाने के लिए नियम की आवश्यकता है। केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि व्हाट्सएप और फेसबुक उपयोगकर्ताओं की जानकारी से कमाई करते हैं और कानूनी तौर पर यह दावा करने के हकदार नहीं हैं कि वे गोपनीयता की रक्षा करते हैं। इसमें बताया गया कि फेसबुक को अधिक जवाबदेह बनाने के प्रयास विभिन्न देशों में चल रहे हैं। सरकार ने पहले भी कहा था कि अगर एन्क्रिप्शन तोड़े बिना मैसेज के ओरिजिनेटर का पता लगाना संभव नहीं है तो व्हाट्सएप को कोई और मैकेनिज्म लाना चाहिए। पीठ अब 14 अगस्त को मामलों की सुनवाई करेगी।