Mon. Dec 1st, 2025
Spread the love

दशानन कृत ज्योतिष के आज के अंक में वृष लग्न में चन्द्रमा के द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल

२८/अप्रैल/२०२४ • APREL 28, 2024


विक्रम संवत २०८१, शक संवत १९४६

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।

तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि स्थितम् ॥

वृष लग्न का चन्द्रमा आपके जीवन मे क्या प्रभाव डाल सकता है जानिए

वृष लग्न में चन्द्रमा की बारह स्थितियों का अलग-अलग प्रभाव होता है

चन्द्रमा प्रथम भाव में – वृष लग्न के पहले भाव में स्थित चन्द्रमा के प्रभाव से जातक की कार्यशैली उत्तम होती है। उसका मनोबल बहुत ऊंचा होता है,उसे भाई-बहनों  का भरपूर सुख-सहयोग मिलता है। समाज में उत्कृष्ट कार्य करने से यथेष्ट लाभ तथा सम्मान मिलता है।

पुरुषार्थ की कमी, बन्धु वियोग, भाई अधिक अर्च करें आशा बड़े, मन उदास, निराश, मनोयोगी, दूरदर्शी, बाहर अन्य स्थानों से लाभ। बाएँ नेत्र की दृष्टि उत्तम, महत्त्वाकांक्षी, पिछले जन्म में किसी की भुजाओं में चोट मारी थी इस कारण अब इसकी बाहु कमजोर है।

चन्द्रमा की सातवीं नीच दृष्टि द्वारा सातवें भाव को देखने के कारण जातक को कुछ कष्ट होता है। व्यवसाय में रुकावटें आती हैं। परिवार में कलह एवं असंतोष पैदा होने लगता है।

चन्द्रमा द्वितीय भाव में -वृष लग्न के दूसरे भाव में मित्र बुध की राशि चतुर्थेश सूर्य के प्रभाव से जातक अपनी बुद्धि तथा विवेक द्वारा आसानी से कमाता है। उसे सम्पूर्ण परिवार का भरण-पोषण करना पड़ता है, लेकिन वह -बहनों के सुख से वंचित रहता है।

सुन्दर, पुरुषार्थी, भाई-बहन सबकी सूरत एक सी, सब मिलकर रहें। स्त्री सुख, विचारशील, शिक्षित, सन्तति भाग्यवान, प्रसन्न, दूरदर्शी, उच्च मनोबल, जल सम्बन्धी यात्राएँ, रोजी लगी रहे। कवि, गायक, वैद्य, सुरीला कंठ, प्रभावशाली, शरीर में स्त्रीशक्ति का वास, भाग्योदय दो बार।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि के प्रभाव से जातक दीर्घायु होता है। उसे बड़े गर्गों तथा प्राचीन वस्तुओं द्वारा लाभ प्राप्त होता है। ऐसा व्यक्ति समाज में सभ्य प्रतिष्ठित रूप में नाम कमाता है।

चन्द्रमा तृतीय भाव में – वृष लग्न में चन्द्रमा के तीसरे भाव  में स्थित होने से तक को भाई-बहनों का पूर्ण सुख-सहयोग मिलता है। कठिन परिश्रम द्वारा वह पने परिवार का भरण-पोषण सुचारु रूप से करता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित्त क्या साहसी दिखाई देता है।

पिता की सम्पत्ति पर भाइयों का कब्जा, बन्धु-बान्धव पुरुषार्थी, धनाढ्य, पिता की सम्पत्ति से कुछ प्राप्त हो, मनोबल तथा पुरुषार्थ कम, परिश्रमी, स्वयं चाहे कि छोटे भाई को अधिक हक प्राप्त हो।

चन्द्रमा की सातवीं शत्रु दृष्टि पड़ने से जातक संकटों से घिर जाता है। यह धार्मिक कार्यों से दूर रहने लगता है। अपने जीवन को सफल बनाने के लिए उसे कठिन से कठिन कार्य करना पड़ता है, जिससे उसके भाग्य में मामूली- जी वृद्धि होती है।

चन्द्रमा चतुर्थ भाव में – वृष लग्न के चौथे भाव में मित्र सूर्य की राशि में स्थित चन्द्रमा के प्रभाव से जातक को अपनी जमीन से बहुत लाभ मिलता है। उसे भाई-बहनों का अच्छा सुख-सहयोग प्राप्त होता है।

प्रभावशाली, पुरुषार्थी, परिश्रमी, भाई-बहन सब सुन्दर, अपनी सूरत भिन्न, बन्धु-बान्धव प्रसिद्ध, भाग्यवान्, उत्साही।

चन्द्रमा की सातवीं शत्रु दृष्टि द्वारा दसवें स्थान को देखने के कारण जातक को अपने पिता तथा राज्य के क्षेत्र से कठिन परिश्रम से हो कुछ लाभ मिलता है। ऐसे व्यक्ति का कार्य क्षेत्र शीघ्र ही सुधर जाता है, जिससे उसका जीवन संवरने लगता है। वह सुखी जीवन जीते हुए अन्य लोगों की भी सहायता करता है।

चन्द्रमा पंचम भाव में – वृष लग्न में चन्द्रमा के पांचवें भाव  में स्थित होने से जातक को विद्या, बुद्धि तथा सन्तान के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त होती है। छोटे भाई-बहनों एवं परिवार के अन्य सदस्यों से घनिष्ठ प्यार बना रहता है।

भाई मकान तथा जमीन के हकदार हो जाएँ, मकान-भूमि, सवारी का सुख, सुखी जीवन, अन्य भाई माँ को बहुत चाहते हैं। भाई कहते हैं कि मकान बनाओ, सवारी खरीदो, पिता सुखी पर नीरसता, भाई जमीन खरीद लें।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा ग्यारहवें भाव को देखने से जातक को अपनी मेहनत से अच्छी आमदनी प्राप्त होती है। ऐसा व्यक्ति समाज में उच्च एवं प्रतिष्ठित बनकर सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चन्द्रमा षष्ठम भाव में- वृष लगन में चन्द्रमा के छठवें भाव  में स्थित होने से जातक को अपने शत्रु पक्ष से कोई हानि नहीं होती, बल्कि उसका दबाव बना रहता है। इस कारण उसे अपने कार्यों में सफलता मिलती है। कुछ ग्रह स्थितिवश उसे चिन्ताएं भी घेरे रहती हैं, लेकिन उसके साहस में कमी नहीं आती।

भाई सन्तान को बहुत प्यार करते हैं, इसके बच्चों को पढ़ाते हैं, विद्या कम पर वजीफा, सन्तान सुन्दर, मृदुभाषी, हाजिर जवाब, जल, चाँदी सम्बन्धी कार्य, हीरे मोती की खरीद बिक्री।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा बारहवें स्थान को देखने के कारण जातक को बाहरी संसाधनों तथा व्यक्तियों से अच्छा लाभ मिलता है। लेकिन लाभ के साथ-साथ खर्च का योग भी उतना ही रहता है।

चन्द्रमा सप्तम भाव में– वृष लग्न में चन्द्रमा के सातवें भाव  के फलादेश से जातक को नौकरी तथा व्यवसाय में हानि होती है। स्त्री पक्ष भी कष्ट पहुंचाता है। इससे वह चिन्तित रहता है। व्यवसाय में हानि होने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगती है।

भाई को चोट, भाई परतन्त्र, ननसाल सुखी, एक भाई का मामा पालन करे। खर्च अधिक, रोगी तथा शत्रुता।

चन्द्रमा की सातवीं उच्च दृष्टि द्वारा पहले भाव को देखने से जातक का शरीर सुन्दर, कान्तिमय तथा निरोग होता है। उसको किसी भी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं रहती। वह एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित होता है। मेहनती होने से सुखी जीवन व्यतीत करता है।

चन्द्रमा अष्ठम भाव में – वृष लग्न में चन्द्रमा के आठवें भाव के फलादेश से जातक की आयु बढ़ती है। साथ ही उसे बड़े-बुजुर्गों का अच्छा सहयोग मिलता है। ऐसा व्यक्ति पुरातत्व का भी लाभ पाता है, लेकिन ग्रह योग के परिणाम स्वरूप भाई-बहनों के सुख में कुछ कमी आ जाती है।

भाई पत्नी को प्यार में रखे। पत्नी से अनबन, स्वयं सुंदर, मनोबल में कमी, रोजी में उलट फेर।

चन्द्रमा की सातवीं भित्र दृष्टि द्वारा दूसरे भाव को देखने के कारण जातक को धन लाभ होता है तथा परिवार में वृद्धि होती है। लेकिन इन सभी उपलब्धियों के लिए उसे कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है।

चन्द्रमा नवम भाव में – वृष लग्न के नौवें भाव में शत्रु शनि की राशि पर स्थित चन्द्रमा के प्रभाव से जातक बहुत भाग्यशाली होता है। धार्मिक कार्यों में उसकी रुचि निरन्तर बढ़ती जाती है। घर में भाई-बहनों का पूर्ण सहयोग मिलता है।

पुरुषार्थ में कमजोरी, एक भाई की मृत्यु, एक भाई विदेश चला जाए, जल यात्रा, विदेश जाने की लालसा में नौकरी छोड़े।

चन्द्रमा की सातवीं दृष्टि द्वारा स्वराशि वाले चौथे भाव को देखने के कारण जातक का मनोबल ऊंचा होता है। समाज में मान-सम्मान बढ़ता है तथा कार्य कुशलता में वृद्धि होती है। ऐसे व्यक्ति का स्वभाव अत्यंत अच्छा होता है। वह हर पल खुश रहता है।

चन्द्रमा दशम भाव में – वृष लग्न के दसवें भाव  में अपने शत्रु शनि की राशि पर स्थित चन्द्रमा के प्रभाव से जातक का सम्बंध परिवार में तनावपूर्ण होता है। पिता के साथ भी वैमनस्य बना रहता है। राज्य के क्षेत्र में कठोर मेहनत करनी पड़ती है, तभी उसे कुछ राहत मिलती है। भाई-बहनों का अच्छा प्यार मिलता है।

भाग्यवान, बहन अधिक, मनोयोगी, पुरुषार्थी धार्मिक यात्राएँ दैवशक्ति की सहायता, धनवान ।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा जातक को जमीन-जायदाद से अच्छा लाभ मिलता है। पारिवारिक सम्बंधों में सुधार आता है तथा हर तरफ खुशहाली का माहौल बना रहता है।

चन्द्रमा एकादश भाव में- वृष लग्न के ग्यारहवें भाव  में स्थित चन्द्रमा के फलादेश से जातक की आय में निरन्तर बढ़ोत्तरी होती है। पारिवारिक स्थिति सुदृढ़ रहती है। सभी सदस्यों का पर्याप्त सहयोग मिलता है। भाई-बहनों का प्यार तथा सहयोग सराहनीय होता है। ऐसे व्यक्ति के पराक्रम में अच्छी वृद्धि होती है जिससे उसका जीवन स्तर ऊंचा होता है।

भाई नौकरी पर लग जाए, राज में तरक्की, प्रतिष्ठामय। बाहुबल से उन्नति, सुन्दर रहन-सहन, मकान, सवारी का सुख, माता की सेवा।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि के कारण जातक का दिमाग तेज होता है। सन्तान भी अच्छी होती है। परिवार में सभी शिक्षित होते हैं। ऐसी कुण्डली वाला व्यक्ति मधुर स्वभाव तथा उच्च प्रकृति वाला होता है।

चन्द्रमा द्वादश भाव में – वृष लग्न के बारहवें भाव  में अपने मित्र मंगल की राशि पर स्थित चन्द्रमा के प्रभाव से जातक को परोक्ष रूप से धन लाभ मिलता है। बाहरी या अनजान व्यक्तियों से शीघ्र सम्बंध स्थापित हो जाते हैं। इसके लिए उसे कुछ धन भी खर्च करना पड़ता है। उसको भाई-बहनों द्वारा भी पूर्ण सुख-सहयोग एवं लाभ प्राप्त होता है।

भाइयों का व्यापार में सांझा, चतुर, पुरुषार्थी, शिक्षित, मनोबली, भाई कहता है कि दुकान में बैठ, सदा लाभ, कन्या सन्तति, अगले जन्म में ब्राह्मण के घर जन्म लेगा तथा किसी नदी किनारे भाइयों सहित रहेगा।

चन्द्रमा की सातवीं मित्र दृष्टि से जातक नई युक्तियों तथा गोपनीय चालों द्वारा शत्रुओं पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है। ऐसी कुण्डली वाला व्यक्ति पूर्णतः सुखी जीवन व्यतीत करता है।

दशासन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक समाचार
वृष लग्न के लोगो को पहले से द्वादश भाव मे मंगल का फल जानने को पढ़े अगले रविवार का दशानन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक अंक

ज्योतिषाचार्य कौशल जोशी शास्त्री
+91 6396 961 220