Mon. Dec 1st, 2025
Spread the love

दशानन कृत ज्योतिष के आज के अंक में मेष लग्न में केतु के द्वादश भावों के शुभ अशुभ फल

14/अप्रैल/२०२४ • APREL 14, 2024


विक्रम संवत २०८१, शक संवत १९४६

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।

तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि स्थितम् ॥

मेष लग्न का केतु आपके जीवन मे क्या प्रभाव डाल सकता है जानिए

मेष लग्न में केतु  केतु उत्तर दिशा का स्वामी, क्रूर प्रकृति तथा श्याम वर्ण का ग्रह है। मेष लग्न में इसके बारह भावों के फलादेश कुण्डलियों सहित निम्न प्रकार हैं-

केतु प्रथम भाव में- मेष लग्न के पहले भाव में शत्रु मंगल की राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य खराब होने का भय होता है। मानसिक, शारीरिक तथा अन्य चिन्ताएं बनी रहती हैं। किसी भी दुर्घटना आदि से शरीर में अपंगता या सुन्दरता में कमी आ जाती है।

दब कर न रहे। क्रोधी, पराक्रमी, कृश देह दूसरों को उत्थान देने में सहायक, हृदय मजबूत, पहले हमला करे, भाग्यवान।

ऐसी कुण्डली वाला जातक बहुत मेहनती तथा आपसी सूझबूझ से काम निकालने वाला होता है। फिर भी केतु के प्रभाव से चिन्ताओं का शिकार बना रहता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा अस्वस्थ रहता है।

केतु द्वितीय भाव में-  मेष लग्न के दूसरे भाव  में स्थित केतु के प्रभाव से जातक के परिवार में अन्तर्कलह मचा रहता है। वह चिन्ता, शारीरिक कष्ट और धन की कमी से परेशान रहता है। कुछ भागदौड़ करने से आर्थिक परेशानी में मामूली सुधार होता है।

धन की कमी, धैर्य से कार्य, धन के पक्ष में घोर संकट, धन का बटवारा किसी शक्ति के साधन से सन्तोष, भाग्य वाले कार्यों में धोखा।

ऐसा जातक इन कष्टों के बावजूद स्थिर तथा शान्त बना रहता है। कठिन से कठिन घड़ियों में भी वह अपनी मजबूरी प्रकट नहीं होने देता। आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी वह आसानी से जीवन-यापन करता है, जिससे उसका प्रभाव बना रहता है।

केतु तृतीय भाव में – मेष लग्न के तीसरे भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक के साहस तथा पराक्रम में कमी आती है। उसे भाई-बहनों का प्यार व सहयोग भी नहीं मिलता। वह चिड़चिड़े स्वभाव का बन जाता है।

भाई-बहन भाग्यवान, भाइयों से क्लेश, पुरुषार्थ में कमजोरी. गुप्त शक्ति से कार्य करने वाला, अनुचित रीति से बहादुरी का परिचय देने वाला, भीषण प्रहार सहने वाला, धैर्य को त्यागने वाला।

ऐसा जातक अपने काम के लिए कूटनीतिक चालों एवं गुप्त व्यक्तियों के सहारे बैठा रहता है। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए वह कुछ भी कर डालता है। कभी-कभी कठोर परिश्रम के बावजूद वह अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाता जिससे उसे सामान्य से भी निम्र जीवन जीना पड़ता है।



केतु चतुर्थ भाव में – मेष लग्न के चौथे भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक के घर में कई चीजों का अभाव बना रहता है। उसे भूमि, मकान तथा माद से कोई लाभ नहीं मिलता। परिवार में अशांति का माहौल होता है।

माता भाग्यवान, उत्तम मकान, परन्तु माता की उम्र कम तथा वह मकान भी चला जाए, सुख की कमी, अशान्ति, दारुण विपत्ति का सामना, अन्त में सुख, पिता परेशान।

जब केतु चन्द्रमा की राशि पर स्थित होता है तो ऐसे जातक को काम करने की हिम्मत बढ़‌ती है, जिससे वह अपने कुछ कष्ट दूर कर लेता है। चन्द्रमा के प्रभाव से उसके आय के स्रोत खुलने लगते हैं। नौकर अथवा व्यवसाय के सिलसिले में उसे विदेश से भी लाभ मिलता है।

केतु पंचम भाव में- मेष लग्न के पांचवें भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक के शिक्षा क्षेत्र में बहुत कठिनाइयां आती हैं। उसकी बुद्धि एवं स्मरण शक्ति कमजोर होने से वह अधिक शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाता।

मूर्ख, शिक्षा कम, सन्तान विलम्ब से, बुद्धि में कमी, अन्धविश्वासी, कुछ छिपाकर रखता है। सन्तान भाग्यवान्।

ऐसे जातक को सन्तान पक्ष से भी दुःखी रहना पड़ता है। उसे आसानी से सन्तान सुख नहीं प्राप्त होता। इन परेशानियों से वह उग्र स्वभाव का होकर कठोर वचन बोलने लगता है। हर वक्त कुछ न कुछ अभाव बना रहता है।

केतु षष्ठम भाव में – मेष लग्न के छठवें भाव  में मित्र बुध की राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक को अपने शत्रु पक्ष पर आसानी से विजय हासिल हो जाती है। इससे वह शीघ्र ही चर्चित हो जाता है।

महान् कठिनाइयों से जूझने वाला, शत्रु को परास्त करने वाला, पुरुषार्थी, मामा को कष्ट, स्वार्थसिद्धि का पूरा ध्यान।

ऐसे जातक का स्वभाव गम्भीर होता है। वह बड़ा हिम्मती, बहादुर तथा परिश्रमी होता है। मन के अन्दर की बात वह कभी किसी के सामने प्रकट नहीं होने देता। कम होने पर संतोष करता हैं, लेकिन अधिक होने पर गर्व नहीं महसूस करता। ऐसी कुण्डली वाला व्यक्ति बड़ा धैर्यवान, समझदार एवं पराक्रमी होता है।

केतु सप्तम भाव में-मेष लग्न के सातवें भाव  में स्थित केतु के प्रभाव से जातक को कारोबार तथा परिवार में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उसका स्त्री पक्ष बहुत कमजोर रहता है।

पत्नी से अशान्ति, रोजी में कठिनाई का सामना,
पत्नी के भाग्य से रोजी मिले, साहस से उन्नति।

ऐसे जातक को कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इस प्रकार परिवार को सुधारने-संवारने में उसे कुछ राहत मिलती है। पत्नी का भी कुछ सुख-सहयोग प्राप्त होता है। लेकिन उसे बहुत समझदारी से काम लेना पड़ता है।

केतु अष्टम भाव में -मेष लग्न के आठवें भाव  में स्थित केतु के प्रभाव से जातक को गम्भीर संकटों का सामना करना पड़ता है। कई बार वह मरने से बाल-बाल बच जाता है। पुरानी सम्पत्तियों का बचने के लिए वह चालाकी तथा। उसे बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। इनसे बचने के लिए वह चालाकी तथा होशियारी से काम लेता है जिसमे उसे कुछ हद तक सफलता मिलती है। लेकिन कुछ भयंकर कष्टों का प्रकोप बना ही रहता है।

गुदा रोग भाग्य साथ ना दे हेकड़ी जताने वाला धन एकत्र न कर सके

ऐसे जातक को शारीरिक कष्ट, जैसे- रोग आदि बराबर परेशान किए रहते हैं। इस कारण वह हताश एवं निराश हो जाता है। मगर इन सबके बावजूद वह परेशानी में ही जीवन-यापन करता रहता है।

केतु नवम भाव में -मेष लग्न के नौवें भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक अत्यंत धनी होता है। उसकी दिनचर्या धार्मिक किस्म की हो जाती है। वह बहुत भाग्यशाली होता है। लेकिन केतु के क्रूर स्वभाव से उसके जीवन में अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। कई तरह के संकट जीवन में उतार-चढ़ाव पैदा। कर देते हैं।

परिश्रम से भाग्यवान्, महान् झंझटों का सामना, तामसी, तमोगुणी। फिर भी भाग्यवान्।

कभी-कभी ऐसे जातक का जीवन-यापन अधिक संघर्षपूर्ण होता है। ऐसी स्थिति में वह कठोर एवं निर्दय स्वभाव का हो जाता है। लेकिन धर्म के प्रति उसकी आस्था बनी रहती है।


केतु दशम भाव में –मेष लग्न के दसवें भाव में मित्र शनि की राशि पर स्थित केतु के प्रभाव से जातक के कारोबार में हानि योग बनता है। उसे पिता द्वारा अपार कष्ट मिलता है। व्यवसाय आदि क्षेत्रों में कई बार परिवर्तन करने की जरूरत पड़ जाती है।

भाग्यवान् योग, नौकरी में उत्तम पद, पिता को कष्ट, माता की उम्र कम, कई बार उन्नति।

ऐसे जातक को आंशिक लाभ मिलता है, जिससे उसकी आर्थिक तथा पारिवारिक स्थिति सुधर जाती है। वह फिर तरक्की करने लग जाता है। इससे समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है।


केतु एकादश भाव में -मेष लग्न के ग्यारहवें भाव  में मित्र शनि की राशि में स्थित केतु के प्रभाव से जातक अधिक धन-दौलत कमाता है। वह अपनी होशियारी से दिन दुगुनी रात चौगुनी कमाई करता है। लेकिन ग्रह स्थितिवश उसे कुछ कष्ट भी झेलना पड़ता है।

ऊपरी भाग में कार्य, लाभ में कमी परन्तु वैसे लाभ अधिक, आमदनी की नई-नई योजना। अनुचित लाभ, दौलत मुफ्त मिल जाए ऐसा विचार, अगले जन्म में वैश्य के घर जन्म लेगा, परन्तु सफाई का कार्य करेगा।

ऐसा जातक अपने आय के साधनों में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन भी करता है। अधिक धन कमाने के लिए उसे अधिक मेहनत करनी पड़ती है। वह फिर से अधिक धन कमाकर अपना जीवन सफल बना लेता है।


केतु द्वादश भाव में – मेष लग्न के बारहवें भाव में स्थित केतु के प्रभाव से जातक को अपने अधिकार क्षेत्र के बाहरी साधनों से कुछ हानि उठानी पड़ती है। उसे खर्च सम्बंधी कठिनाइयां भी सताती हैं।

भारी खर्च, खर्च के मामलों में संकट, शत्रु और रोग दबकर रहें। भाग्य साथ न दे, आमदनी कम, पिछले जन्म में गजटेड अफसर था तथा बिना रिश्वत लिए किसी को उन्नति नहीं देता था, इस कारण अपने जीवन में उत्तम तरक्की न पा सका।

ऐसी स्थिति में जातक के बाहरी लोगों से सम्बंध बिगड़ जाते हैं। शुक्र के कुछ प्रभाव से इसमें लाभ के अवसर आते हैं। उसे कई प्रकार के सामाजिक कार्यों में धन व्यय करना पड़ता है, जिससे उसकी मान-प्रतिष्ठा बढ़ जाती है।

अब तक आपने पढ़ा मेष लग्न में नावों ग्रहों के प्रत्येक लग्न के द्वादश भावों में मिलने वाले फल के बारे में अगले रविवार से
वर्ष लग्न के जातक वृष लग्न में सूर्य के होने से पढ़ने वाले प्रभावों की जानकारी के लिए पढ़ें अगले रविवार का
दशासन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक समाचार

वृष लग्न के लोगो को पहले से द्वादश भाव मे सूर्य का फल जानने को पढ़े अगले रविवार का दशानन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक अंक

ज्योतिषाचार्य कौशल जोशी शास्त्री
+91 6396 961 220