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जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

21/अप्रैल/२०२४ . APREL 21, 2024


विक्रम संवत २०८१, शक संवत १९४६

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।

तद्वद्वेदांगशास्त्राणां ज्योतिषं मूर्धनि स्थितम् ॥

वृष लग्न का सूर्य आपके जीवन मे क्या प्रभाव डाल सकता है जानिए

ज्योतिषचार्य कौशल जोशी (शास्त्री) प्राचीन “कुमायूँ की काशी” माला सोमेश्वर

सूर्य प्रथम भाव में – वृष लग्न के पहले भाव  में शत्रु शुक्र की राशि पर स्थित चतुषेश सूर्य के प्रभाव से जातक को अपनी माता तथा भूमि से अधिक सहयोग-लाभ प्राप्त होता है। लेकिन शारीरिक बनावट में अधिक लाभ नहीं होता।

विशेष खर्च, सवारी खरीदने में नुकसान, सवारी बिक जाए, सुख की कमी, मकान बिक जाए, माता की कम उम्र, अन्यत्र भूमि लाभ, मामा को हानि, शत्रु तथा रोग नष्ट, अधिक खर्च। पिछले जन्म में किसी की सवारी चुरा ली थी, इस कारण अब सवारी तथा भूमि के लिए परेशान है।

सूर्य द्वारा सातवीं मित्र दृष्टि से सप्तम भाव को देखने पर जातक का जीवन प्रभावशाली तथा मिजाज तेज होने लगता है। कारोबारी हालात सुधरने लगते हैं। धन्, यश एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

सूर्य द्वितीय भाव में -वृष लग्न में सूर्य के दूसरे भाव  में स्थित होने से जातक को धन का लाभ होता है। पारिवारिक स्थिति सुधरने लगती है। कुछ ग्रह स्थिति के विपरीत प्रभाव से माता के सुख में कमी आ जाती है।

माता से वैमनस्य फिर भी माता का प्यार, क्रोधी, काया दुखी, भूमि का लाभ, माता कठिनता से जमीन में नाम लिखवावे, सवारी भी मिल जाए। पत्नी रुग्ण, स्वयं बड़ा भाई है।

सूर्य की सातवीं मित्र दृष्टि होने से जातक की आयु में वृद्धि का योग बनता है।उसे कुछ प्राचीन वस्तुओं का लाभ होता है। शरीर स्वस्थ होने लगता है। ऐसी स्थिति में उसका प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे वह सुखी जीवन जीता है।

सूर्य तृतीय भाव में- वृष लग्न के तीसरे भाव  में मित्र चन्द्रमा की राशि पर स्थित चतुर्थेश सूर्य के प्रभाव से जातक को जमीन-जायदाद का भरपूर सुख मिलता है। कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। उसे भाई-बहनों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है।

माता का पिता के धन पर काबू है, सवारी भी माँ दिलवाएगी, आयु बढ़े, पूर्व दिशा में जमीन की खरीद।

सूर्य की सातवीं शत्रु दृष्टि द्वारा नौवें भाव को देखने पर जातक को अपने कार्य क्षेत्र में बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इस कारण धर्म-कर्म तथा दान-पुण्य से वह दूर हो जाता है।

सूर्य चतुर्थ भाव में – वृष लग्न के चौथे भाव  में स्थित सूर्य के फलादेश से जातक को भूमि, भवन तथा माता द्वारा काफी लाभ मिलता है। अच्छा मकान एवं व्यवसाय होने से रहन-सहन उच्च स्तर का होता है। चारों तरफ उसका अपना ही प्रभाव होता है। फिर भी उसे अपने में कुछ कमी महसूस होती रहती है।

स्वयं बड़ा भाई है, पराक्रमी, भूमि में भाइयों का भाग, माता छोटे भाई की तरफदारी करती है, कर्म को प्रधान मानने वाला, धर्म में अरुचि, यात्रा में नुकसान।

सूर्य की सातवीं शत्रु दृष्टि द्वारा दसवें स्थान को देखने के कारण जातक को परिवार में कुछ अशान्ति महसूस होती है। अपने अधिकार क्षेत्र में उसका दबदब कम होने लगता है। इस खोई प्रतिष्ठा को फिर से प्राप्त करने के लिए उसे कई कार्य करने पड़ते हैं। अपने जीवन को संघर्षमय बनाना पड़ता है।

सूर्य पंचम भाव में – वृष लग्न के पांचवें भाव में मित्र बुध की राशि में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को घर-परिवार में पूरा सुख मिलता है। उसको शिक्षा-दीक्षा भी अच्छी होती है। वह समझदार व्यक्ति बनता है। सन्तान पक्ष मजबूत होता है। उसकी प्रत्येक इच्छाएं पूरी होती रहती हैं।

माता दीर्घजीवी, सुखी, गौरवमय जीवन, अपनी सवारी व भूमि, मकान का सुख, एक मकान सरकार किराए पर ले, पिता को कष्ट, पिता से अनबन, अपने में मस्त, लक्ष्मी प्रसन्न, पिता की रोजी में उन्नति, भाग्योदय पाँच बार।

सूर्य की सातवों मित्र दृष्टि द्वारा ग्यारहवें भाव को देखने से जातक खूब धन- दौलत कमाता है। वह समाज में एक धनी व्यक्ति के रूप में विकसित होता है। उसके सारे कार्य अपने आप सफल होते जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अपना कोई मामूली कार्य भी अधूरा नहीं छोड़ते।

सूर्य षष्ठम भाव में – वृष लग्न के छठवें भाव में शत्रु शुक्र की राशि पर स्थित नीच सूर्य के फलादेश से जातक को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उसके शत्रु उसे कमजोर करते हैं, लेकिन वह अपनी सूझबूझ से शीघ्र ही इर्न पर विजय प्राप्त कर लेता है।

उत्तम बुद्धि, सुखी सन्तति, भूमि में सन्तान का नाम लिख जाए, माता लिखवा दे, शिक्षा का नौकरी में कम लाभ तथा व्यापार में अधिक लाभ, नौकरी में अफसर से न बने।

ऐसे जातक को कुछ ग्रह स्थितिवश भूमि तथा मकान से कष्ट मिलता है। सूर्य की सातवीं उच्च दृष्टि द्वारा बारहवें भाव को देखने पर कुछ बाध्य लोगों से अचानक लाभ होता है। शारीरिक रोग-व्याधि नष्ट हो जाते हैं।

सूर्य सप्तम भाव में – वृष लग्न के सातवें भाव में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। उसका कारोबार सही चलता है। उसे स्त्री पक्ष से भी काफी सहायता मिलती है। कुछ स्थितियों में भूमि तथा मकान का लाभ मिलता है।

भूमि का हरण, माता को कष्ट, माता शत्रु की तरफदारी करे, रोग नष्ट, शत्रु मित्र बन जाए, खर्च अधिक, जन्म भूमि से अलग रहे, सुख में कमी, मामा को कष्ट, छिपा साहसी, पिता की रोजी घटती जाए।

सूर्य की सातवीं शत्रु दृष्टि द्वारा पहले भाव को देखने से जातक के शरीर में कुछ कमी आनी शुरू हो जाती है। घर-परिवार में अंतर्कलह उत्पन्न होते हैं। इसी कारण वह परेशान रहने लगता है, जिससे उसे बीमारी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।


सूर्य अष्टम भाव में -वृष लग्न के आठवें भाव  में अपने मित्र बृहस्पति की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को अपना घर-बार छोड़ना पड़ जाता है। इसी कारण उसे अपनी माता, भूमि तथा मकान का पूर्ण सुख नहीं प्राप्त होता। उसके न रहने से परिवार में क्लेश चलता रहता है। लेकिन घर से बाहर होने पर उसे कुछ प्राचीन वस्तुओं का लाभ अवश्य मिलता है।

माँ पत्नी को बहुत प्यार करती है, पत्नी गरीब घर की है, विवाह के बाद भूमि लाभ, मन में ज्वाला, अशान्ति, घर में सुख, भूमि से दैनिक रोजी, सवारी से टक्कर।

सूर्य की सातवीं मित्र दृष्टि द्वारा दूसरे भाव को देखने से जातक को अपने परिवार में सुख-शांति मिलनी शुरू हो जाती है। उसे धन लाभ भी होता है। बाहा संसाधनों से सहायता मिलती है।


सूर्य नवम भाव में – वृष लग्न के नौवें भाव  में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक को घरेलू सुख तथा अपने कार्य में सफलता मिलती है। दैनिक जीवन में समानता बनी रहती है। परिवार में भी सामान्य स्थिति होती है।

घर की जमीन छूट जाए, विदेश में आजीविका, माता की उम्र कम, पिता के धन में कमी, दूर की यात्रा से धन अर्जित, अपनी मृत्यु के पश्चात् अमीरी छोड़ जाए।

सूर्य की सातवीं मित्र दृष्टि के प्रभाव से जातक के कार्य क्षेत्र में बढ़ोत्तरी का योग बनता है। उसका साहस बढ़ता है तथा भाई-बहनों का पूर्ण सुख-सहयोग मिलता है। ऐसी ग्रह स्थिति वाला व्यक्ति अपने कार्य कौशल से ही अपनी कमियों को दूर कर शांति अनुभव करता है।

सूर्य दशम भाव में -वृष लग्न के दसवें भाव  में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक अत्यधिक परेशान रहता है। कठिन से कठिन परिश्रम करने पर भी उसे सफलता नहीं हासिल होती। व्यवसाय में घाटा होना शुरू हो जाता है। पिता द्वारा भी कोई सहयोग नहीं मिलता। राज्य पक्ष कमजोर होने लगता है जिसके कारण वह हताश हो जाता है।

भाग्यवान, भूमि लाभ हो, यात्रा में लाभ हो, भाग्य साथ दे, सवारी से टक्कर, परन्तु कुछ नीरसता रहे। पुरुषार्थी, भाई- बहनों से मेल, माता मनोती माँगे।

सूर्य की सातवीं मित्र दृष्टि जब पांचवें स्थान पर पड़ती है तो जातक को कुछ सुख एवं राहत मिलती है। उसके कार्य सफल होने लगते हैं। वह विद्या आदि को पूर्ण करके मनवांछित लाभ पाता है। सन्तान पक्ष में वृद्धि होने से वह आनन्दपूर्वक जोने लगता है।


सूर्य एकादश भाव में– वृष लग्न के ग्यारहवें भाव में मित्र बृहस्पति की राशि पर स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक बड़ा ही मेहनती होता है। उसके आय स्रोतों से अच्छी आमदनी होने लगती है। घर-परिवार वालों का उसे पूर्ण सुख-सहयोग मिलता है। हर तरफ से खुशियां प्राप्त होती हैं। जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।

माता कहती है कि नौकरी कर परन्तु नौकरी में मन नहीं लगता। पिता से अनबन, अफसर से अनबन, सवारी से पिता की टक्कर, माता-पिता में नहीं बनती।

सूर्य की सातवीं मित्र दृष्टि से जातक को उच्च ज्ञान प्राप्त होता है। वह समझदार तथा विवेकशील बन जाता है। सन्तान के क्षेत्र में वृद्धि का योग होता है। कुल मिलाकर इस कुण्डली का व्यक्ति अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत करता है तथा दूसरों की मदद भी करता है।

सूर्व द्वादश भाव में – लग्न के बारहवें भाव  में स्थित सूर्य के प्रभाव से जातक के बाहरी क्षेत्र के लोगों से अच्छे सम्बन्ध बनते हैं, जिससे उसे काफी लाभ मिलता है। इस कार्य के लिए उसे कुछ धन भी खर्च करना पड़ता है। घर में कोई न कोई कमी हमेशा बनी रहती है।

मकान-दुकान एक जगह, जमीन का क्रय-विक्रय, स्कूटर, रिक्शा आदि का काम, मकान, भूमि प्राप्ति, सुखी। माता कहती कि दुकांन खोल ले, सूखी लकड़ी, मेवा, नाव, जहाज के कार्य, शिक्षा उत्तम, बुद्धि प्रखर, वाणी का प्रभाव, माता भी दुकान की देखभाल करे, अगले जन्म में क्षत्रिय के घर जन्म लेगा तथा जल सेना में नौकरी करेगा।

सूर्य की सातवीं नीच दृष्टि द्वारा शत्रु राशि के छठवें भाव को देखने के कारण जातक को शत्रु पक्ष से कुछ राहत मिलती है। यदि वह देश से बाहर जाकर नौकरी या व्यवसाय करे तो उसे अधिक लाभ होता है।

पिछले सप्ताह तक आपने पढ़ा मेष लग्न में नावों ग्रहों के प्रत्येक लग्न के द्वादश भावों में मिलने वाले फल के बारे में 

दशासन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक समाचार
वृष लग्न के लोगो को पहले से द्वादश भाव मे चन्द्रमा का फल जानने को पढ़े अगले रविवार का दशानन कृत ज्योतिष का साप्ताहिक अंक

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