जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
देवों के देव महादेव की कृपा पाने का सबसे प्रमुख पवित्र माह है सावन..ये वो महीना जिसमें भक्त शिव भक्ति से अपने सोए भाग्य को जगा सकते है ..शिव कृपा से हर कष्ट दूर कर सकते है इस दौरान भोलेनाथ भी अपने भक्तों पर विशेष कृपा रखते है ..सही ढंग से समर्पण भाव से शिव आराधना सावन में सब ठीक तो कर सकता है लेकिन इस दौरान रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है सावन के सोमवार का जितना महत्व है उतना ही इस दिन रुद्राभिषेक का भी तो आइये आज आपको बताते है रुद्राभिषेक कैसे करें इससे कैसे शिव प्रसन्न होते है
श्रावण 2025 के प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक किया जा सकता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं, ग्रह दोष दूर करते हैं और उसको कष्टों से मुक्त करते हैं। इस साल 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई और 4 अगस्त को सावन का सोमवार पड़ रहा है। इसके अलावा मंगलवार 22 जुलाई 2025 को सावन प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक विशेष फलदायी होगा। इसके अलावा 23 जुलाई बुधवार श्रावण शिवरात्रि, 29 जुलाई मंगलवार नाग पंचमी और 6 अगस्त बुधवार को श्रावण शुक्ल पक्ष प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक कराना सकारात्मक फलदेने वाला होगा।
जल, दूध, घी, शहद, दही, बेलपत्र, मदार से रुद्राभिषेक की आध्यात्मिक क्रिया और शिव जी को प्रसन्न करने के अनुष्ठान से जीवन की समस्याओं का अंत होता है और नई दिशा मिलती है। इससे तन, मन, आत्मा की शुद्धि होती है। मान्यता है कि रुद्राभिषेक से ग्रह दोष दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं। करियर में स्थिरता आती है, स्वास्थ्य लाभ मिलता है। जीवन से नकारात्मकता दूर होती है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आपके बनते काम बिगड़ रहे हैं या परेशानियां पीछा नहीं छोड़ रही हैं तो संभव है कि कुंडली में ग्रह दोष हो। ऐसे में सावन में रुद्राभिषेक से आपको राहत मिल सकती है। मान्यता है कि नियमानुसार सावन में रुद्राभिषेक कालसर्प दोष, पितृ दोष और या अन्य कोई ग्रह दोष हो, सभी से राहत मिलती है..सावन में रुद्राभिषेक को मनोकामना पूर्ति का शक्तिशाली उपाय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो लोग लंबे समय से नौकरी, विवाह, संतान या सफलता की इच्छा मन में रखे हुए हैं, रुद्राभिषेक से उनकी इच्छा पूरी हो सकती है। मन को शांति भी मिलती है।रुद्राभिषेक के दौरान मंत्रों के साथ शिवलिंग पर पंचामृत और जल चढ़ाने से मानसिक बाधाएं दूर होती है और यह प्रक्रिया सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। इससे आर्थिक उन्नति होती है और करियर में सकारात्मकता आने लगती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राभिषेक मानसिक तनाव, पुरानी बीमारियां को दूर करने में अपना प्रभाव दिखाता है। क्योंकि इनका संबंध मन से भी होता है। रुद्राभिषेक के मंत्र मानसिक संतुलन को बढ़ाते हैं, ये किसी चिकित्सा से कम नहीं है, जो रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है।
सावन के पूरे महीने में रुद्राभिषेक किया जा सकता है। लेकिन सोमवार और विशेष दिनों में रुद्राभिषेक के विशेष फल होते हैं। विशेष तिथि पर रुद्राभिषेक के लिए किसी पुरोहित से विधि विधान से रुद्राभिषेक अनुष्ठान कराना चाहिए। इसमें कई घंटे का समय लग सकता है, लेकिन ऐसा आपके लिए किसी कारण से संभव न हो तो सावन के सोमवार के दिन या सावन की विशेष तिथियों पर शिव मंदिर में या घर पर पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, भस्म आदि से श्रद्धा और शुद्धता से रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते हुए या पंचाक्षरीय ऊँ नमः शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र 1 या 11 माला जाप करते हुए भगवान का अभिषेक कर सकते हैं। साथ ही विधि विधान में कमी के लिए क्षमा प्रार्थना कर लेनी चाहिए
पूरे मन से श्रद्धा भाव से जब भक्त अपने आराध्य भगवान भोलनाथ का रुद्राभिषेक करते है तो निश्चित ही शिव उनके सारे कष्ट दूर करते है ।
