भुवन जोशी जनतानामा अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
आज माला (सोमेश्वर) में श्रावणी उपाकर्म (जनयों पुण्यों) के अवसर पर पूर्ण विधि विधान से जनेऊ की प्रतिष्ठा की गई जिसमे पुरोहितों और यजमानों द्वारा पंचांगी कर्म एवं ऋषितर्पण,देव तर्पण,और जनेऊ के नौ तन्तुओं का पूजन, त्रिग्रन्थि पूजन किया गया।
जिसमे ब्राह्मणों और यजमानों द्वारा ग्रामवाशियों के साथ ही विश्व शांति की कामना की गई। और सामूहिक रूप से यज्ञोपवीत धारण की गई
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग् भवेत्।।
प्राचीन काल में श्रावणी उपाकर्म में बालको को द्विज बनाया जाता था – आचार्य कौशल जोशी
क्यों मनाया जाता है श्रावणी उपाकर्म प्राचीन काल में श्रावणी का महत्व ज्यादा होता था जब बालकों को गुरुकुल भेजा जाता था तो उन्हें द्विज बनाया जाता था शब्द का अर्थ होता है जिसका जन्म दो बार होता है एक बार माता के गर्भ से दूसरी बार यज्ञोपवीत होने पर और उन बालको पर वैदिक संस्कार डाले जाते थे श्रावणी पर्व इसमें पितृ तथा आत्म कल्याण के लिए मित्रों के द्वारा अग्नि में आहुति दी जाती थी और पितृ तर्पण ऋषि तर्पण भी किया जाता था इसको करने से जीवन के हर संकट समाप्त हो जाते हैं।