Tue. Oct 14th, 2025
Spread the love

जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड़

अल्मोड़ा विश्वकर्मा जयंती व कुमाऊं का लोक पर्व खतडुवा के अवसर पर आज गौ सेवा न्यास गुरुकुल शोले में गौशाला ज्योली में विशेष यज्ञ व हवन का आयोजन किया गया, इस अवसर पर गोवंश को गुड़ व भात का मिष्ठान्न खिलाया गया तथा उनकी अभिरुचि के अनुसार उन्हें पर्याप्त ,हराचारा खिलाये जाने की परम्परा का निर्वाह किया गया इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में देश में विज्ञान व इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रगति की कामना की गई ,तथा सभी शिल्पी व इंजीनियरों को बधाई दी गई कामना की गई यह देश विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र में प्रगति करें इस अवसर पर आयोजित यज्ञ में अपने विचार व्यक्त करते हुए गौ,सेवा न्यास के सचिव दया कृष्ण काण्डपाल ने कहा की विश्वकर्मा दिवस के साथ ही खतडुवा कुमाऊं का एक लोक पर्व है इस दिन के बाद आगामी आने वाले शीतकाल में गायों की रक्षा और सुरक्षा के लिए संकल्प लिया जाता है उनके लिए चारा एकत्रित करने का कार्यक्रम आरंभ किया जाता है, गौवंशी पशुओं के लिये उत्तम स्वास्थ व देखरेख की कामना की जाती है इस शंखला को आगे बढाने के लिये उन्हें रोग शोक आदि व्याधियों से बचने के लिए विशेष यज्ञ का आयोजन भी किया गया है, कार्यक्रम में गौ सेवा न्यास की ओर से चन्द्रमणी भट्ट , बसन्त बल्लभ पन्त आदि लोग शामिल हुवे आर्य समाज अल्मोड़ा की ओर से दिनेश तिवारी, मोहन सिह रावत गौरव भट्ट सुखलाल विश्वकर्मा  और दीपू लोहनी आदि शामिल हुये ,इस अवसर पर पण्डित दीपू लोहनी ने इस पर्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी।


कुमाऊँ में खतडुवें की परम्परा पर पण्डित दीपू लोहनी के विचार

उत्तराखण्ड में खतडुवा पर्व (Khatarua Festival) है, यह पर्व शरद ऋतू के आगमन का प्रतीक और पशुपालकों के लिए  विशेष महत्व…रखता है
उत्तराखंड की संस्कृति और परम्पराएँ अनमोल हैं यहॉ पर प्रमुख देवी देवताओं के अलावा भूमि(स्थान) देवता, वन देवता तथा पशु देवता को भी पूजने का प्रावधान है जिससे साबित होता है कि यहाँ के लोग प्रकृति के कितने क़रीब है वैसे तो यहाँ कई प्रकार के पर्व मनाते है लेकिन पशुधन को समर्पित पर्व “खतडुवा” (Khatarua Festival) कुमाऊँ क्षेत्र में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है जिसे पशुओं की मंगलकामना का पर्व भी कहा गया है।

“भैलो खतडुवा भैलो
गै की जीत,खतडुवा की हार
भाग खतडुवा भाग

वर्षा ऋतू के समाप्त होने तथा शरद ऋतु के आरम्भ में यानि आश्विन माह के पहले दिन को “खतडुवा (गाईत्यार)” मनाते है। गॉव के युवा बच्चे कुछ दिन पूर्व से ही एक ऊँचे स्थान पर लकड़ियों तथा सुखी घास का एक ढेर बनाते है जो खतडुवा के दिन जलाया जाता है और मसाल जलते समय सभी लोग ककड़ी और अखरोट एक दूसरे को बाटते और खाते है।