जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
नगीना । पिछले चार वर्षों से आश्रित की नौकरी पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहा एक वाल्मीकि युवक की कोई भी अधिकारी से लेकर मंत्री तक न्याय दिलाने के लिए उसकी फरियाद तक नहीं सुन रहे हैं जिससे युवक आत्महत्या की दहलीज पर खड़ा है यह वाक्य एक पीड़ित युवक के हैं पीड़ित ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेज मृत पिता की आश्रित के रूप में नौकरी दिलाई जाने की गुहार की है।
नगीना हरेवली मार्ग स्थित ग्राम शहजादपुर निवासी कुलदीप कुमार वाल्मीकि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल को अलग-अलग भेजे मांग पत्र में कहां कि उसके पिता अमित चंद आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालय चांदपुर में सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्त थे। चिकित्सालय के डॉ आनंद स्वरूप शर्मा के द्वारा प्रताड़ित करते रहते थे यहां तक मारपीट और कई वार तो वेतन भुगतान आदि नहीं करते थे उनके बार-बार कहने पर भी और लिखित में अपना स्थानांतरण करने की मांग पत्र पर भी डॉ आनंद स्वरूप शर्मा ने स्थानांतरण नहीं होने दिया और उत्पीड़न लगातार करते रहे पत्र में आरोप लगाया गया है कि डॉ आनंद स्वरूप शर्मा के द्वारा 6 माह का वेतन और एरियल नहीं दिए जाने से बच्चों के सामने पढ़ाई लिखाई रोटी के आदि की विराट समस्या खडी होने के कारण अपने आप को लज्जित समझते हुए 18 दिसंबर 1990 में ड्यूटी पर रहते हुए आत्महत्या कर ली थी। उस समय मेरा बड़ा भाई ढाई साल का और वह 6 माह का था। उस समय उसकी मां सर्वेस देवी ने आश्रित के रूप में नौकरी लेने उनके बाद मेरे बड़े भाई ने अथक प्रयास किया लेकिन विभाग की लापरवाही और डॉक्टर आनंद स्वरूप शर्मा की हठधर्मिता के चलते आज तक नौकरी नहीं मिल सकी उनके हिम्मत हारने के बाद पिछले 4 सालों से कुलदीप कुमार अपने पिता की आश्रित के रूप में नौकरी पाने के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाते लगाते थक गए और कर्जे में डूब गया है पत्र में कहां गया है कि नौकरी न मिलने के कारण उसका पूरा परिवार बद से बत्तर हालत में जीवन यापन कर रहे हैं पत्र में यह भी कहा गया है कि नौकरी पाने के लिए जिलाधिकारी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं तमाम आला अफसरो के दफ्तरों के चक्कर काटते काटते और मांग पत्र भेजते भेजते थक गया है यदि विभाग के उच्च अधिकारियों ने उन्हें आश्रित के रूप में नौकरी नहीं दी तो वह परिवार के साथ आत्महत्या करने के अलावा और कोई चारा नहीं है क्योंकि कर्ज में डूबा यह परिवार अपने परिवार के गुजर बसर चल पाएगा या लोगों से लिया कर्ज अदा कर पाएगा कुलदीप के परिवार के लिए बिना नौकरी लगे दोनों ही रास्ते चुनौती भरे हैं।
उधर कुलदीप कुमार वाल्मीकि ने बताया कि उसके और परिवार के बच्चे शिक्षा अपने और रोटी खाने तक से तरस रहे हैं ऊपर से कर्ज में डूबे हुए हैं लेकिन विभागीय अधिकारी एवं उत्तर प्रदेश के न्याय प्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमारे परिवार की ओर से आंखें फेर हुए हैं जबकि अपने माली हालत से समय-समय पर लिखित आवेदन भेज कर अवगत कराता रहा हूं लेकिन अब लगता है कि आयुर्वेदिक एवं यूनानी विभाग के उच्च अधिकारी मेरे परिवार को जीवित देखना ही नहीं चाहते ऐसा अब लगने लगा है कुलदीप का कहना है कि आय का कोई भी साधन नहीं होने के कारण जिन साहूकारों से कर्जा लिया है अब वह भी अपना कर्ज चुकाने के लिए घर से निकलने की फिराक में लगे हैं। यदि ऐसा होगा तो उनके सामने परिवार सहित मौत को गले लगाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है।
