जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
जिले में इस वर्ष विजयादशमी उत्सव को नई दिशा देते हुए बस्ती स्तर तक व्यापक रूप से आयोजित कर रहा है। संघ ने 28 सितम्बर से 5 अक्टूबर तक की अवधि निर्धारित की है तथा सभी स्वयंसेवकों से नगरों, गांवों और बस्तियों में इस पावन पर्व को उत्साहपूर्वक मनाने का आह्वान किया है।

अब तक जिले के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। खंड बाड़ेछिना में 5, ताकुला में 2 तथा अल्मोड़ा नगर क्षेत्र में 2 मंडल व बस्तियों में विजयादशमी उत्सव सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है। उत्सव की मुख्य कड़ी में एकत्रीकरण, पथ संचलन, शस्त्र पूजन और बौद्धिक गोष्ठियां प्रमुख आकर्षण रही हैं।
पंच परिवर्तन का संदेश
इस वर्ष के उत्सव की विशेषता है पंच परिवर्तन का व्यापक प्रचार-प्रसार। संघ द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में पाँच प्रमुख आयाम सम्मिलित हैं :
स्व का बोध (स्वदेशी भावना) – सोच, भाषा, भोजन और व्यवहार में स्वदेशी भाव अपनाना।
नागरिक कर्तव्य – समाज को कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना एवं कानूनों का पालन।
पर्यावरण संरक्षण – जल संरक्षण, पौधरोपण और प्रकृति संग सामंजस्यपूर्ण जीवन।
सामाजिक समरसता – छुआछूत और भेदभाव समाप्त कर सभी वर्गों में एकता।
कुटुंब प्रबोधन – संयुक्त परिवार को सशक्त बनाना एवं पारिवारिक मूल्यों का संरक्षण।
विजयादशमी की महत्ता
बौद्धिक गोष्ठियों में वक्ताओं ने कहा कि विजयादशमी शक्ति की उपासना का पर्व है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय और धर्म की स्थापना का प्रतीक है।
तीन प्रकार की शक्तियाँ बताई गईं –
संगठित शक्ति
धन की शक्ति
ज्ञान की शक्ति (जिसे सर्वोपरि माना गया)
विजयादशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा का भी विशेष महत्व है। यह विश्वास किया जाता है कि शस्त्र प्राणों की रक्षा करते हैं और उनमें विजया देवी का वास होता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1925 में संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने इसी दिन संगठन की स्थापना समाज को शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से की थी।
शताब्दी वर्ष का आगाज़
यह विजयादशमी संघ के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि इसी के साथ संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। विजयादशमी 2025 से विजयादशमी 2026 तक चलने वाले इस शताब्दी वर्ष में संघ का मुख्य लक्ष्य हिन्दुओं को संगठित करना और भारतीय संस्कृति के प्रति जनजागरण रहेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह विजयादशमी अभियान केवल उत्सव नहीं, बल्कि समाज में संगठन, संस्कार और सेवा की भावना को प्रबल करने तथा पंच परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।