Mon. Oct 13th, 2025
Spread the love

जनतानामा न्यूज़ अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

बैसाख का महीना शुरू होते ही सुबह से ही शिव मंदिरों में उमड़ने लगी भक्तों की भारी भीड़, आज के दिन से भक्त परम्परा अनुसार शिवलिंग के ऊपर घड़ा चढ़ाते है और फिर हर रोज सावन तक उसमें जल भरने आते है , आज ही के दिन जिस किसी राशि मे कोई ग्रहदोष हो तो दूर करने को शिव मंदिरों में पूजा अर्चना कर पाठ आदि कर उसे दूर किया जाता है , उत्तराखण्ड में मान्यता है नव संवत्सर के ब्राह्मण को घर पर बुलाकर संवत्सर (साल भर ) जैसा होगा सुना जाता है ,  उसमें जिस राशि पर शुभ अशुभ फल ( पैट अपैट) फल के अनुसार शिव मन्दिरो में   पाठ आदि कर अशुभ ग्रह दशा को कम किया जाता है।


वैशाख में शिवलिंग के ऊपर एक पानी से भरी मटकी बांधने की परंपरा है। इस मटकी से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। वैशाख मास में ही ऐसा क्यों किया जाता है और इस परंपरा का क्या महत्व है। इससे जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। शिवलिंग के ऊपर बांधी जाने वाली मटकी को क्या कहते हैं, इसे कब और क्यों बांधते हैं? हम कई बार शिवलिंग के ऊपर एक मटकी बंधी हुई देखते हैं, जिसमें से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। ये दृश्य अक्सर गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है। इस परंपरा से जुड़ी कई बातें हैं।

शिवलिंग को ऊपर जो पानी से भरी मटकी बांधी जाती है, उसे गलंतिका कहा जाता है। गलंतिका का शाब्दिक अर्थ है जल पिलाने का करवा या बर्तन। इस मटकी में नीचे की ओर एक छोटा सा छेद होता है जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर निरंतर गिरता रहता है। ये मटकी मिट्टी या किसी अन्य धातु की भी हो सकती है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि इस मटकी का पानी खत्म न हो।

इस परंपरा से जुड़ी कथा

धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन करने पर सबसे पहले कालकूट नाम का भयंकर विष निकला, जिससे संसार में त्राहि-त्राहि मच गई। तब शिवजी ने उस विष को अपने गले में धारण कर लिया। मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास में जब अत्यधिक गर्मी पड़ने लगती है जो कालकूट विष के कारण शिवजी के शरीर का तापमान में बढ़ने लगता है। उस तापमान को नियंत्रित रखने के लिए ही शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है। जिसमें से बूंद-बूंद टपकता जल शिवजी को ठंडक प्रदान करता है।

इसी से शुरू हुई परंपरा

शिवलिंग पर प्रतिदिन लोगों द्वारा जल चढ़ाया जाता है। इसके पीछे ही यही कारण है कि शिवजी के शरीरा का तापमान सामान्य रहे। गर्मी के दिनों तापमान अधिक रहता है इसलिए इस समय गलंतिका बांधी जाती है ताकि निरंतर रूप से शिवलिंग पर जल की धारा गिरती रहे।

वैसाख मास में लगभग हर मंदिर में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधी जाती है। इस परंपरा में ये बात ध्यान रखने वाली है तो गलंतिका में डाला जाने वाला जल पूरी तरह से शुद्ध हो। चूंकि ये जल शिवलिंग पर गिरता है इसलिए इसका शुद्ध होना जरूरी है। अगर किसी अपवित्र स्त्रोत से लिया गया जल गलंतिका में डालने से भविष्य में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सफाई और शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी है।

जल चढ़ाने से दूर होती है परेशानियां

वैशाख महीने में शिवलिंग पर पानी का कलश या घड़ा स्थापित किया जाता है। माना जाता है कि जैसे घड़े से पानी की बूंद-बूंद शिवलिंग पर गिरती है, उसी तरह परेशानियां भी पानी की तरह बहकर दूर हो जाती है। इसलिए इन दो दिनों में शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए, प्रातः काल शिवलिंग पर जल चढ़ाने ने उगते सूरज की रोशनी शिवलिंग पर जल की बूंदों से लौटकर जब मनुष्य पर पड़ती है उससे माइग्रेन, अनिद्रा जैसी अनेक बीमारियों का अंत होता है।

शारीरिक परेशानियों से छुटकारा

वैशाख महीने के प्रदोष और शिव चतुर्दशी पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद भगवान भोलेनाथ का जल और दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर मदार, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं। साथ ही शिवजी को मौसमी फलों का भोग लगाएं। इन दो दिनों में सत्तू, तरबूज और जल के घड़े का दान करना बेहद शुभ होता है। इन चीजों का दान करने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।

शिव पूजा के  लिए अत्यधिक लाभदायक है ये दो दिन 2 दिन

वैशाख में भगवान विष्णु के साथ शिवजी की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। इसके लिए 8 और 9 मई को खास संयोग भी बन रहा है। इनमें शनिवार को प्रदोष और अगले दिन शिव चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि रहेगी। इन दो दिनों में जल से शिवलिंग का अभिषेक और पूजा करने पर उम्र बढ़ती है और हर तरह की परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। शिव पुराण के मुताबिक ये दोनों दिन भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत खास माने गए हैं। इन तिथियों पर की गई शिव पूजा से कई गुना शुभ फल मिलता है।

प्रदोष तिथि यानी 8 मई को व्रत रखें और शाम को सूर्यास्त के समय शिव पूजा करनी चाहिए। इस दिन शिवलिंग पर बिल्वपत्र और सफेद फूलों की माला चढ़ाएं। साथ ही घी का दीपक लगाएं। मिट्‌टी के मटके में पानी भरकर शिव मंदिर में दान करें।

शिव चतुर्दशी यानी 9 मई को भगवान शिव और पार्वती देवी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन देवी पार्वती को सौभाग्य सामग्री यानी 16 श्रंगार चढ़ाए जाते हैं। जिससे परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।