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जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड

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उत्तराखण्ड़ शिक्षाविभाग ने तो जैसे मन बना लिया है कि उत्तराखण्ड के अटल उत्कृष्ट विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता गत वर्ष की भाँति ही निराशाजनक बनी रहनी चाहिए। इसका कारण है कि अटल विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर चयन प्रक्रिया जो कि अप्रैल 2023 में शुरू की गई थी। उसकी स्क्रीनिंग परीक्षा, 4-5 महीने बाद सितंबर 2023 में विभाग द्वारा आयोजित की गई थी उसका परिणाम घोषित करने के बाद उसकी काउंसलिंग 2 एवं 3 जनवरी 2024 में हो चुकी है।परंतु इन रिक्त पदों पर शिक्षकों की पदस्थापना के संदर्भ में विभाग आज तक कोई भी निर्णय नहीं ले सका है। और ना ही इसका कोई कारण बताया जा रहा है। विभाग की इस असमंजसता व अनिर्णय की स्थिति से इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं तथा उनके अभिभावक हताश एवं निराश हैं।पठन- पाठन की जो हानि हो रही है शायद उसकी तरफ़ विभाग को कोई ध्यान ही नहीं है।

इससे पूर्व उत्तराखंड में शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने के लिए वर्ष 2021 में राज्य के 95 विकास खंडों में दो -दो (प्रति विकास खंड 02) कुल 189 राजकीय इंटर कालेजों को अटल उत्कृष्ठ विद्यालयों में समायोजन किया गया था। प्रत्येक अटल विद्यालय CBSE से मान्यता प्राप्त है। इनमें अध्यापकों की तैनाती वर्तमान में कार्यरत अध्यापकों से परीक्षा के माध्यम से की जाती है। 2021 में इन विद्यालयों में पहली बार पदस्थापना विभागीय चयन परीक्षा के माध्यम से की गयी क्योंकि इन विद्यालयों में नियुक्ति हेतु अटल उत्कृष्ट विद्यालय चयन परीक्षा पास करना अनिवार्य है। 2023 में जब प्रथम बार इन विद्यालयों का परिणाम आया तो आशानुरूप सफलता नहीं मिली, जिसका कारण इन विद्यालयों में अध्यापकों की भारी कमी थी।

इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए वर्ष अप्रैल 2023 में इन विद्यालयों में रिक्त लगभग 530 प्रवक्ता पदों एवं 298 सहायक अध्यापक के पदों हेतु आवेदन आमन्त्रित किये गए। जिस परीक्षा को बमुश्किल एक माह में संपन्न हो जाना था, विभागीय लेट लतीफी के चलते सितंबर माह में जाकर यह परीक्षा करवाई गयी। अक्तूबर माह में परीक्षा का परिणाम घोषित हो जाने के बावजूद, दोबारा विभागीय लेट लतीफी के चलते बड़ी मुश्किल से 2 और 3 जनवरी 2024 को इन पदों हेतु नैनीताल और देहरादून एवं पौड़ी में प्रदेश भर से शिक्षकों को बुलाकर काउंसिलिंग करवाई गयी।
परंतु इतना समय बीत जाने के बाद इन चयनित शिक्षकों को अभी तक पदस्थापना नहीं दी गयी है। वर्ष 2021 में यही पूरी प्रक्रिया केवल एक माहर में संपन्न करवाकर जुलाई माह तक चयनित शिक्षकों को पदस्थापित कर दिया गया था।

पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर प्रारम्भ इस योजना से ग्रामीण पृष्ठभूमि के साधन विहीन विद्यार्थियों के बीच अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण की एक आशा जागी थी। पर इतनी सांख्य में रिक्त पदों के चलते यह योजना अपने लक्ष्य से भटकती नजर आती है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो अटल विद्यालयों में कुमाऊँ मंडल में रिक्त 150 पदों में से 129 पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र के विद्यालय हैं। इसी प्रकार गढ़वाल मण्डल में रिक्त 148 पदों में से 117 दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र के विद्यालयों में रिक्त हैं। प्रवक्ता संवर्ग में इन विद्यालयों में प्रदेश भर में 530 पद खाली हैं, जिनमें 471 पहाड़ी इलाकों के विद्यालयों में हैं। शेष मैदानी विद्यालय भी भारी छात्र संख्या के बावजूद शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं।

विद्यालयों की उत्कृष्टता का सबसे बड़ा पैमाना उनमें शिक्षकों का होना है।शैक्षणिक सत्र शुरू हुए लगभग 10 माह हो चुके है किंतु अधिकांश विषयों के पदों पर शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हुई है। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बनाए गए विद्यालयों में विद्यार्थियों का भविष्य और चयनित शिक्षकों की नियुक्ति दोनों पर ही प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।और यह बात केवल इसी सत्र की नहीं है। यदि इन विद्यालयों को शीघ्र शिक्षक नहीं मिलते हैं तो आगामी लोकसभा चुनावों के चलते इन विद्यार्थियों को अगले चार माह और इंतजार करना पड़ सकता है, जो इनके भविष्य के लिए बेहद निराशाजनक होगा।इन सभी बातों से तो ऐसा ही लगता है कि इन विद्यालयों के माध्यम से प्रदेश के निर्धन ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सपना, सपना ही रह जाने वाला है।

सभी छात्र छात्राओं एवं अभिभावकों का उत्तराखण्ड़ सरकार से निवेदन है कि बिना समय बर्बाद किये अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षकों की पदास्थापना शीघ्र की जाय जिससे कि इन विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य सुचारू रूप से चल सके।