जनतानामा न्यूज़ भुवन जोशी अल्मोड़ा उत्तराखण्ड
अल्मोड़ा, 01 नवंबर— पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं(Health system of Almora) नियति के सुपुर्द हैं। कभी यहां डॉक्टर नहीं होने से लोगों की जाने गईं तो कभी अस्पतालों के रिफलर सेंटर बनने के चलते गरीब भटकने को दो चार हुआ तो उच्चीकृत होने का तमगा लगाने वाले संस्थाओं में सुविधाओं की कमी मरीजों की जिन्दगी पर भारी पड़ रही हैं।
ब्लड के लिए मेडिकल कॉलेज से जिला अस्पताल 8 किमी काटने पड़ते है चक्कर
अल्मोड़ा के राजकीय मेडिकल कॉलेज में एक प्रसूता की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अधिक रक्तस्राव होने से प्रसव के आठ दिन बाद उसकी मौत हुई। यह भी दर्दनाक है कि इन 8 दिनों में महिला का पति खून के इंतजाम के लिए कई बार बेस अस्पताल से जिला अस्पताल के चक्कर काटता रहा। बाद में उसकी मौत हो गई। जानकारी के अनुसार कपकोट निवासी सीता देवी (35) गर्भवती थीं। प्रसव पीड़ा पर सीता को वहां के स्थानीय डॉक्टरों ने अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जानकारी के अनुसार यहां डॉक्टरों ने जटिल केस बताते हुए सीजेरियन प्रसव की बात कही(Health system of Almora)। 20 अक्तूबर को सीता का ऑपरेशन से प्रसव हुआ। सीता ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, लेकिन उनकी खुद की हालत बिगड़ गई। मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक न होने के कारण ऑपरेशन के दौरान उसके पति भुवन को खून के लिए करीब सात किमी दूर जिला अस्पताल के कई चक्कर लगाने पड़े। 28 अक्तूबर की रात सीता ने दम तोड़ दिया।
ब्लड बैंक ना होना उपचार में करता है जटिलता पैदा
मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि प्रसूता की हालत काफी गंभीर थी उसे बचाने के हरसंभव प्रयास किये गए लेकिन अन्तत:उसकी मौत हो गई। यह भी पता लगा है कि तमाम उपकरण होने के बावजूद अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के पास अपना ब्लड बैंक नहीं है जो कई बार गम्भीर रोगियों के उपचार में कई जटिलताएं पैदा कर देता है। लोगों का कहना है कि अच्छे उपचार की उम्मीद में लोग यहां आते हैं लेकिन एक ब्लड बैंक जैसी जरूरी व्यवस्था मेडिकल कॉलेज में नहीं होने से आए दिन लोगों को खून के लिए काफी परेशान होना पड़ता है।